• Powered by

  • Anytime Astro Consult Online Astrologers Anytime

Rashifal राशिफल
Raj Yog राज योग
Yearly Horoscope 2024
Janam Kundali कुंडली
Kundali Matching मिलान
Tarot Reading टैरो
Personalized Predictions भविष्यवाणियाँ
Today Choghadiya चौघडिया
Rahu Kaal राहु कालम

प्रदोष व्रत कथा - Pradosh Vrat Katha in Hindi

Pradosh Vrat Katha in Hindi

Updated Date : गुरुवार, 21 मई, 2020 12:23 अपराह्न

प्रदोष व्रत कथा (Pradosh Vrat Katha In Hindi)

प्रदोष व्रत कथा (Pradosh Vrat Katha) भगवान शिव और पार्वती के प्रति एक व्रत या संकल्प है, जो पूरे देश में हिंदू समाज द्वारा मनाया जाता है। यह व्रत शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के दौरान त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। यह शाम के समय के सांझ के समय (संध्या समय) में किया जाता है, जो चंद्रमा के उज्जवल और अंधेरे चरण के तेरहवें दिन होता है।

प्रदोष का अर्थ है रात्रि का संध्या भाग। माना जाता है कि यह 1 घंटे से 1.5 घंटे का समय होता है जब शिव और पार्वती अपने सबसे प्रसन्न मनोभाव में होते हैं। इस प्रकार, इस समय पर उनकी पूजा करने से आपकी जरूरतें और इच्छाएँ पूरी हो सकती हैं।
प्रदोष व्रत का पालन हर कोई अपनी उम्र या लिंग का व्यक्ति कर सकता है। लोग पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ इस व्रत का पालन करते हैं।

देश के कुछ हिस्सों में, भक्त शिव के नटराज रूप की पूजा करते हैं।

स्कंद पुराण के अनुसार, प्रदोष व्रत दो अलग-अलग विधियां हैं।

  • 1) भक्त 24 घंटे कठोरता से इस उपवास का पालन करते हैं और रात का जागरण करते हैं।
  • 2) दूसरी विधि में, उपवास सूर्योदय से सूर्यास्त तक किया जाता है और लोग आमतौर पर शाम को भगवान शिव की प्रार्थना करने के बाद उपवास तोड़ते हैं।

यह माना जाता है कि इस दिन, एक दीया जलाने से भी, आपको लाभ प्राप्त होता है।

अलग-अलग दिनों में रखे जाने पर प्रदोष व्रत का आध्यात्मिक महत्व

अलग-अलग दिनों में व्रत को मनाए जाने का आध्यात्मिक महत्वः

1) सोम प्रदोष व्रतः यह व्रत सोमवार को मनाया जाता है, और जो भक्त इस व्रत का पालन करते हैं वह आशावादी सोच का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सकारात्मकता जीवन में अत्यंत आवश्यक है और समय के साथ लोगों को पर्याप्त मजबूत बनाने में सक्षम है। यह वह दिन भी है जब आप चंद्रमा की पूजा कर सकते हैं, उन्हें सोमदेव के नाम से भी जाना जाता है।

2) मंगल प्रदोष व्रतः यह मंगलवार को मनाया जाने वाला व्रत है और इसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। इससे भक्तों को सभी प्रकार की बीमारियों से राहत मिलती है और यह व्रत समृद्धि लाने में सक्षम है। इस दिन यह व्रत आपकी दृष्टि का विस्तार कर सकता है ताकि आप उन तरीकों को संयुक्त कर सकें जिनका उपयोग आप जीविकोपार्जन के लिए कर सकते हैं।

3) सौम्य प्रदोष व्रतः जब आप बुधवार को आने वाले प्रदोष व्रत का पालन करते हैं तो आपको बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होगी। जब बुध प्रसन्न हो तो वह आपके मन के संकायों का विस्तार कर सकता है, और यह सुनिश्चित करता है कि आप हर तरफ से समस्या का सामना कर सकते हैं।

4) गुरु प्रदोष व्रतः यह व्रत गुरूवार को मनाया जाता है और इस व्रत का पालन करने से आप अपने जीवन के खतरों को जानकर उन सभी खतरों को समाप्त कर सकते हैं। आप इस दिन व्रत का पालन कर अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे।

5) शुक्र प्रदोष व्रतः यदि आप शुक्रवार को प्रदोष व्रत का पालन करते हैं, तो आप अपने जीवन से सभी नकारात्मकताओं को समाप्त कर सकेंगे। आप संतुष्ट और सफल होंगे और शिथिलता कभी आपके पास नहीं आएगी। इसे भृगु वार प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है।

6) शनि प्रदोष व्रतः यदि आप शनिवार के दिन व्रत का पालन करते हैं तो शनि आपको वह रास्ता दिखाता है जिससे आप अपने खोए हुए धन, सम्मान और स्वास्थ्य को प्राप्त कर सकते हैं। आध्यात्मिकता में आपकी रूचि बढ़ेगी और आपके सभी पिछले कर्मों का लाभ प्राप्त होगा।

7) रवि प्रदोष व्रतः इसे भानु प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन भक्त दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और रविवार के दिन प्रदोष व्रत का उपवास करने से शांति महसूस करेंगे।

प्रदोष व्रत समय के लिए वर्ष 2020 कैलेंडर

महीना

चंद्रमा चक्र

सप्ताह का दिन

प्रदोष व्रत का समय

त्रयोदशी का समय

8 जनवरी

शुक्ल त्रयोदशी

बुधवार

शाम 05:40 से रात 08:23 तक

8 जनवरी शाम 04:14 से 9 जनवरी सुबह 03:43 तक

22 जनवरी

कृष्ण त्रयोदशी

बुधवार

शाम 05:52 से रात 08:32 तक

22 जनवरी दोपहर 01:44 से 23 जनवरी सुबह 01:48 तक

7 फरवरी

शुक्ल त्रयोदशी

शुक्रवार

शाम 06:05 से शाम 06:31 तक

6 फरवरी रात 08:23 से 7 फरवरी शाम 06:31 तक

20 फरवरी

कृष्ण त्रयोदशी

गुरूवार

शाम 06:14 से रात 08:46 तक

20 फरवरी दोपहर 03:59 से 21 फरवरी शाम 05:20 तक

7 मार्च

शुक्ल त्रयोदशी

शनिवार

शाम 06:25 से रात 08:52 तक

7 मार्च सुबह 09:28 से 8 मार्च सुबह 06:31 तक

21 मार्च

कृष्ण त्रयोदशी

शनिवार

शाम 06:33 से रात 08:55 तक

21 मार्च सुबह 07:55 से 22 मार्च सुबह 10:07 तक

5 अप्रैल

शुक्ल त्रयोदशी

रविवार

रात 07:24 से रात 08:58 तक

5 अप्रैल रात 07:24 से 06 अप्रैल दोपहर 03:51 तक

20 अप्रैल

कृष्ण त्रयोदशी

सोमवार

शाम 06:50 से रात 09:02 तक

20 अप्रैल सुबह 12:42 से 21 अप्रैल सुबह 03:11 तक

5 मई

शुक्ल त्रयोदशी

मंगलवार

शाम 06:59 से रात 09:06 तक

5 मई दोपहर 02:53 से 6 मई रात 11:21 तक

19 मई

कृष्ण त्रयोदशी

मंगलवार

शाम 07:07 बजे से रात 09:11 बजे तक

19 मई शाम 05:31 से 20 मई रात 07:42 तक

3 जून

शुक्ल त्रयोदशी

बुधवार

शाम 07:16 से रात 09:17 तक

3 जून सुबह 09:05 से 4 जून सुबह 06:06 तक

18 जून

कृष्ण त्रयोदशी

गुरूवार

शाम 07:21 से रात 09:24 तक

18 जून सुबह 09:39 से 19 जून सुबह 11:01 तक

2 जुलाई

शुक्ल त्रयोदशी

गुरूवार

शाम 07:23 से रात 09:24 तक

2 जुलाई दोपहर 03:16 से 3 जुलाई दोपहर 01:16 तक

18 जुलाई

कृष्ण त्रयोदशी

शनिवार

शाम 07:20 से रात 09:23 तक

18 जुलाई सुबह 12:33 से 19 जुलाई सुबह 01:41 तक

01 अगस्त

शुक्ल त्रयोदशी

शनिवार

शाम 07:12 से रात 09:18 तक

31 जुलाई रात 10:42 से 1 अगस्त रात 09:54 तक

16 अगस्त

कृष्ण त्रयोदशी

रविवार

शाम 06:59 से रात 09:10 तक

16 अगस्त दोपहर 01:50 से 17 अगस्त दोपहर 12:35 तक

30 अगस्त

शुक्ल त्रयोदशी

रविवार

शाम 06:45 से रात 08:59 तक

30 अगस्त सुबह 08:21 से 31 अगस्त सुबह 08:48 तक

15 सितंबर

कृष्ण त्रयोदशी

मंगलवार

शाम 06:26 से रात 08:46 तक

15 सितंबर सुबह 01:29 से 15 सितंबर रात 11:00 तक

29 सितंबर

शुक्ल त्रयोदशी

मंगलवार

शाम 06:09 से रात 08:34 तक

28 सितंबर रात 08:58 से 29 सितंबर रात 10:33 तक

14 अक्टूबर

कृष्ण त्रयोदशी

बुधवार

शाम 05:52 से रात 08:22 तक

14 अक्टूबर सुबह 11:51 से 15 अक्टूबर सुबह 08:33 तक

28 अक्टूबर

शुक्ल त्रयोदशी

बुधवार

शाम 05:39 से रात 08:13 तक

28 अक्टूबर दोपहर 12:54 से 29 अक्टूबर दोपहर 03:15 तक

13 नवंबर

कृष्ण त्रयोदशी

शुक्रवार

शाम 05:28 से शाम 05:59 तक

12 नवंबर रात 09:30 से 13 नवंबर शाम 05:59 तक

27 नवंबर

शुक्ल त्रयोदशी

शुक्रवार

शाम 05:24 से रात 08:06 तक

12 नवंबर सुबह 07:46 से 13 नवंबर शाम 05:59 तक

12 दिसंबर

कृष्ण त्रयोदशी

शनिवार

शाम 05:25 बजे से रात 08:09 तक

12 दिसंबर सुबह 07:02 से 13 दिसंबर सुबह 03:52 तक

27 दिसंबर

शुक्ल त्रयोदशी

रविवार

शाम 05:32 बजे से रात 08:16 तक

सुबह 04:18 से सुबह 06:20 तक

आइए अब अलग-अलग दिनों में प्रदोष व्रत के महत्व के बारे में जानें।

विभिन्न प्रकार के प्रदोष व्रत और उनकी व्रत कथाएँ

क्र. सं. दिन प्रदोष व्रत कथा
1 सोमवार सोम प्रदोष व्रत कथा
2 मंगलवार मंगल प्रदोष (भौम प्रदोष) व्रत कथा
3 बुधवार बुध प्रदोष (सौम्य प्रदोष) व्रत कथा
4 गुरुवार गुरु प्रदोष व्रत कथा
5 शुक्रवार शुक्र प्रदोष व्रत कथा
6 शनिवार शनि प्रदोष व्रत कथा
7 रविवार रवि प्रदोष (भानु प्रदोष) व्रत कथा

ज्योतिषी से बात करें

वैवाहिक संघर्ष, प्रेम संबंध समस्या। कॉल पर गुना मिलान और रिलेशनशिप परामर्श।

Love

नौकरी में संतुष्टि की कमी, करियर की समस्याएं? करियर और सफलता के लिए ज्योतिषी से सलाह लें।

Career

धन की कमी, विकास और व्यावसायिक समस्याएं? कॉल पर ज्योतिषी द्वारा उपाय और समाधान प्राप्त करें।

Finance

सटीकता और संतुष्टि की गारंटी


Leave a Comment

Chat btn