तिथि
पूर्णिमा, 24:08 तक
नक्षत्र
रोहिणी, 19:46 तक
योग
साध्य, 27:10 तक
प्रथम करण
विष्टि, 12:21 तक
द्वितिय करण
बावा, 24:08 तक
वार
बुधवार
सूर्योदय
07:23
सूर्यास्त
16:42
चन्द्रोदय
16:36
चन्द्रास्त
06:32
शक सम्वत
1941 विकारी
अमान्ता महीना
मार्गशीर्ष
पूर्णिमांत
मार्गशीर्ष
सूर्य राशि
वृश्चिक
चन्द्र राशि
वृषभ
पक्ष
शुक्ल
गुलिक काल
10:53 − 12:03
यमगण्ड
08:33 − 09:43
दूर मुहूर्तम्
05:11 − 05:13
व्रज्याम काल
11:38 − 13:15
राहू काल
12:03 − 13:12
अभिजीत
None
अमृत कालम्
16:31 − 18:08
पंचांग या पंचागम् हिन्दू कैलेंडर है जो भारतीय वैदिक ज्योतिष में दर्शाया गया है। पंचांग मुख्य रूप से 5 अवयवों का गठन होता है, अर्थात् तिथि, वार, नक्षत्र, योग एवं करण। पंचांग मुख्य रूप से सूर्य और चन्द्रमा की गति को दर्शाता है। हिन्दू धर्म में हिन्दी पंचांग के परामर्श के बिना शुभ कार्य जैसे शादी, नागरिक सम्बन्ध, महत्वपूर्ण कार्यक्रम, उद्घाटन समारोह, परीक्षा, साक्षात्कार, नया व्यवसाय या अन्य किसी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते ।
जैसा कि प्राचीन समय से बताया गया है कि हर क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया होती है। इसी तरह जब कोई व्यक्ति पर्यावरण के अनुरूप कार्य करता है तो पर्यावरण प्रत्येक व्यक्ति के साथ समान तरीके से कार्य करता है। एक शुभ कार्य प्रारम्भ करने से पहले महत्वपूर्ण तिथि का चयन करने में हिन्दू पंचांग मुख्य भूमिका निभाता है।
पंचांग एक निश्चित स्थान और समय के लिये सूर्य, चन्द्रमा और अन्य ग्रहों की स्थिति को दर्शाता है। विश्वविजय पंचांग 100 वर्षों की जानकारी रखता है जो सभी के लिए बहुत दुलर्भ है।
संक्षेप में पंचांग एक शुभ दिन, तारीख और समय पे शुभ कार्य आरंभ करने और किसी भी तरह के नकारात्मक प्रभाव को नष्ट करने का विचार प्रदान करता है। आज के दिन का पंचांग जानने के लिए आप हिन्दू कैलेंडर या गुजराती कैलेंडर देख सकते हैं।
यहां आप हिन्दू कैलेंडर के अनुसार महीनेवार पंचांग देख सकते हैं। शुभ कार्य की सभी जानकारी उपलब्ध है।
सूर्योदय एवं सूर्यास्त - हिन्दू कैलेंडर के अनुसार दिन की पूरी लम्बाई को एक सूर्योदय से लेकर दूसरे सूर्यास्त तक जाना जाता है। इसलिए ज्योतिष में सूर्योदय और सूर्यास्त को महत्वपूर्ण माना जाता है। सभी तरह के मुख्य निर्णय सूर्योदय और चन्द्रमा की स्थिति को देखकर ही लिए जाते हैं।
चन्द्रोदय एवं चन्द्रास्त - हिन्दू कैलेंडर में किसी भी शुभ कार्य को करने के लिऐ दिन एवं समय को जानने के लिए चन्द्रोदय एवं चन्द्रास्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शक सम्वत् - शक सम्वत् भारतीय आधिकारिक नागरिक कैलेंडर है जो कि 78AD में स्थापित किया गया था ।
अमान्ता महीना - हिन्दू कैलेंडर जो कि चन्द्र महीने के बिना चन्द्रमा वाले दिन समाप्त होता है उसे अमान्ता महीना कहा जाता है। आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तामिलनाडू, केरला, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा राज्य इस कैलेंडर का अनुसरण करते हैं।
पूर्णिमान्ता महीना - हिन्दू कैलेंडर जो कि चन्द्र महीने में पूरा चन्द्रमा दिखाई देने वाले दिन समाप्त होता है पूर्णिमान्ता महीना कहलाता है। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू काश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश इस कैलेंडर का अनुसरण करते हैं।
सूर्य राशि एवं चन्द्र राशि - सूर्य संकेत किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को दर्शाता है जबकि चन्द्र संकेत कुंडली के दूसरे महत्वपूर्ण पहलूओं को दर्शाता है।
पक्ष - तिथि को दो भागों में विभाजित किया जाता है तथा इन भागों को पक्ष कहा जाता है। पक्षों को कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष के नाम से जाना जाता है।
अभिजीत नक्षत्र - अभिजीत मुहूर्त में भगवान ब्रह्मा का समावेश होता है तथा कोई भी शुभ कार्य करने के लिए इसे बहुत ही शुभ समय माना जाता है।
अमृत कालम - अमृत कालम को कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।
गुलिकाई कालम - गुलिका शनि के पुत्र थे। इसे गुलिकाई काल कहा जाता है। इस समय में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता ।
यामगंदा - यामगंदा मुहूर्त के समय किसी भी तरह के शुभ कार्य को आरंभ करना अशुभ माना जाता है तथा उसमे किसी तरह की वृद्वि नहीं होती।
दूरमुहूर्त - किसी भी शुभ कार्य को करने के लिऐ दूरमुहूर्त काल के समय को अशुभ माना जाता है।
वर्जयाम - वर्जयाम काल सूर्योदय से प्रारम्भ होकर अगले दिन सूर्योदय तक होता है। इसे शुभ कार्य करने के लिए उचित नहीं माना जाता।
राहु कालम - राहु काल के समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता । राहु काल को किसी भी शुभ कार्य के लिए पूरी तरह से अनदेखा किया जाता है।
हिन्दू पंचांग से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी mPanchang पर उपलब्ध है।
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