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2037 बिल्वा निमंत्रण

date  2037
Columbus, Ohio, United States

बिल्वा निमंत्रण
Panchang for बिल्वा निमंत्रण
Choghadiya Muhurat on बिल्वा निमंत्रण

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बिल्व निमंत्रण अनुष्ठान और महत्व

दुर्गा पूजा उन भारतीय त्यौहारों में से एक है जो देश के बहुत से हिस्सों में बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह त्यौहार मां दुर्गा से जुड़ा हुआ है और हिंदू महीने अश्विन (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार सितंबर-अक्टूबर) में शरदिया नवरात्रि उत्सव के दौरान मनाया जाता है। दुर्गा उत्सव मुख्य रूप से एक पांच दिवसीय त्यौहार है जो शरदिया नवरात्रि के छठे दिन (षष्टी तिथि) से शुरू होता है और विजयादशमी (दशमी तिथि) पर समाप्त होता है।

राक्षस महिषासुर पर मां दुर्गा की जीत का जश्न मनाने के लिए दुर्गा पूजा की जाती है। यह विधि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

बिल्व निमंत्रण क्या है?

दुर्गा पूजा का पहला और सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान बिल्व निमंत्रण है। दुर्गा पूजा के उत्सव और समारोह शुरू करने के लिए यह अनुष्ठान बेहद महत्वपूर्ण है। ‘निमन्त्रण’ का अर्थ एक अनुष्ठानात्मक आमंत्रण है। देवी दुर्गा को आमंत्रित करने के लिए यह अनुष्ठान है, जहां मां दुर्गा को बिल्व के पेड़ में अनुष्ठानिक रूप से बुलाया जाता है और फिर अगले 4 दिनों तक पूजा में आमंत्रित किया जाता है।

दुर्गा पूजा के पहले दिन किए जाने वाले अन्य अनुष्ठान कालपरम्भा, बोधन  और आदिवास और आमंत्रण है।

बिल्व निमन्त्रण विधि के लिए सबसे शुभ समय क्या है?

बिल्व निमन्त्रण की विधि षष्टी तिथि या पंचमी तिथि पर की जाती है। इस विधि को करने का सबसे शुभ समय शाम का समय (सांयकाल) है। सूर्यास्त से लगभग 2 घंटे 30 मिनट पहले का समय सांयकाल होता है। यदि षष्टी तिथि के दौरान सांयकाल प्रबल नहीं होता है, तो इसे पंचमी तिथि के सांयकाल के दौरान किया जाना चाहिए।

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