नारद जयंती के बारे में
नारद जयंती सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो सैकड़ों हजारों हिंदू भक्तों द्वारा मनाया जाता है। भगवान के दूत 'नारद' के जन्म दिवस के उपलक्ष में नारद जयंती मनाई जाती है। उन्हें देवताओं का दिव्य दूत और संचार का अग्रणी माना जाता है।
ऋषि नारद या देवर्षि नारद मुनि विभिन्न लोकों में यात्रा करते थे, जिनमें पृथ्वी, आकाश, और पाताल का समावेश होता था ताकि देवताओं और देवताओं तक संदेश और सूचना का संचार किया जा सके। उन्होंने गायन के माध्यम से संदेश देने के लिए अपनी वीणा का उपयोग किया। वह भगवान विष्णु के सबसे बड़े भक्तों में से एक थे।
हिंदू कैलेंडर 1996 के अनुसार, नारद जयंती वैशाख महीने में कृष्ण पक्ष और पहले दिन (प्रतिपदा तिथि) को आती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर 1996 के अनुसार, यह दिन जून या मई के महीने में मनाया जाता है।
नारद जयंती पूजा मुहूर्त के लिए देखे चौघड़िया।
भक्त नारद जयंती को अत्यंत समर्पण और उत्साह के साथ मनाते हैं। इस विशेष दिन पर, मुख्य रूप से उत्तर भारत के क्षेत्रों में कई शैक्षणिक सत्र और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं। कर्नाटक में नारद मुनि के कुछ मंदिर भी हैं जो अत्यधिक लोकप्रिय हैं। इन मंदिरों में महान उत्सव आयोजित किए जाते हैं।
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