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2038 नवरात्री परना

date  2038
Columbus, Ohio, United States

नवरात्री परना
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नवरात्रि पारण - महत्व और अनुष्ठान

नवरात्री पर किये जाने वाले नौ दिन के उपवास के पश्चात उसकी पारणा अर्थात सम्पूर्ण होने की परंपरा को नवरात्री पारणा कहा जाता है। कुछ श्रद्धालु अपने उपवास की पारणा आठवें दिन जिसे अष्टमी भी कहा जाता है को करते हैं। इस दिन देवी माँ महागौरी की पूजा अर्चना करके कन्या पूजन किया जाता है।

नवरात्री पारण का महत्व एवं विधि (In Hindi)

नवरात्रि पारण के अनुष्ठान

कन्या पूजन के लिए, छोटी लड़कियों की पूजा की जाती है क्योंकि उन्हें मां दुर्गा की अभिव्यक्ति माना जाता है।

  • इस पूजा के दौरान, कन्याओं को पूरी, हलवा और चने जैसे विभिन्न स्वादिष्ट भोजन खिलाये जाते है। मां दुर्गा के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए, घर की महिलाऐं इन कन्याओं के चरणों को धोतीं और साफ करती है।
  • इसके बाद, उनके माथे पर तिलक लगाया जाता है। उनके भोजन के बाद, उन्हें उपहार दिए जाते हैं। अंत में, मां दुर्गा से आशीर्वाद पाने के लिए महिलाएं कन्याओं के चरणों को छूती हैं।
  • नवरात्रि पारण का अनुष्ठान नवरात्रि उत्सव के नौ दिनों के अलावा है। यह प्रथा अष्टमी तिथि या नवमी तिथि पर की जाती है। 
  • कुछ घरों में, नवरात्रि उपवास नौ दिनों के बजाय नवरात्रि के दो दिनों के लिए किया जाता है। ये दो दिन आमतौर पर नवरात्रि का पहला दिन होते हैं और दूसरा दिन नवरात्रि का आठवां दिन माना जाता है।

इस प्रकार, नवरात्रि महोत्सव का  महाअष्टमी या महानवमी पर समापन करने के लिए अष्टमी और नवमी तिथि पर नवरात्रि उपवास को समाप्त करने का एक अनुष्ठान है।

नवरात्री पारणा क्यों की जाती है?

हिंदू मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच लगातार नौ दिनों तक युद्ध चला और आखिरकार महिषासुर की हार और हत्या के साथ युद्ध समाप्त हुआ। नवरात्रि त्यौहार का नौवां दिन राक्षस पर देवी की शक्ति, ताकत और ज्ञान के साथ जीत का प्रतीक है। इसलिए, नवरात्रि पारण को नई और अच्छी शुरुआत के लिए भी शुभ माना जाता है।

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