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रत्न विवरण ब्लू सैफायर (नीलम)


ऐसी मान्यता है कि सफायर लाल रंग के अलावा विभिन्न रंगों का हो सकता है। ब्लू सफायर अथवा नीलम को तीव्रतम और असरदार रत्न माना गया। प्राचीन समय से ही इसे प्रेम तथा राजसी वैभव का प्रतीक माना गया है। प्राचीन काल में ग्रीसवासी ईश्वर से अपने लिए मनोकामना पूरी करने और आशीर्वाद लेने के लिए नीलम धारण करते थे। ऐसी मान्यता है कि ईश्वर स्वयं इस रत्न के बड़े प्रशंसक हैं और इस मूल्यवान तथा वैभवशाली रत्न के स्वामी पर अपनी कृपा हमेशा बनाए रखते हैं। नीलम धारण करने से जरूरी नहीं कि आपके लिए सकारात्मक बदलाव अथवा वैभव लाये परन्तु कई बार इसके दुष्परिणाम व्यक्ति को निराश और नकारात्मक बना देते हैं।

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लाभ

  • नीलम त्वरित परिणाम देता है। इससे धनलाभ, वैभव, बेहतर समय आता है तथा यह आपको नई ऊँचाइयों पर ले जाता है।
  • ऐसी मान्यता है कि नीलम यदि व्यक्ति के अनुकूल है तब यह अभूतपूर्व परिणाम देता है, जो मुख्यत: शनि दशा के दौरान मिलते हैं।
  • आपकी रस प्रक्रिया, उत्साह तथा जीवन शक्ति में इज़ाफा होगा।
  • इसको धारण करने से आप काले जादू, घृणा, अपयश तथा प्रेत विद्या से बचाव कर सकते हैं।
  • ऐसा माना गया है कि जब नीलम अपने उच्च पर होता है तब आपका अपने मस्तिष्क पर पूर्ण अधिकार हो जाता है। जीवन की जटिलतम समस्याएं इससे सुलझ जाती हैं और जीवन में शांति का प्रभाव बढ़ता है।

हानि

  • नीलम, यदि अनुकूल नहीं है तो आप गंभीर आर्थिक संकट में फंस सकते हैं।
  • छोटी दुर्घटना तथा हादसे नीलम की प्रतिकूलता के संकेत हैं और आपको इसे तुरंत पहनना बंद करना चाहिए।
  • नीलम, यदि अनुकूल नहीं हैं तब आप अनिद्रा तथा तनाव से ग्रसित हो सकते हैं।
  • नीलम के कारण आपके परिजनों के विरुद्ध प्रतिशोध की भावना बलवती होती है।
  • यह ध्यान रखने योग्य है कि नीलम पहनना विनोद का विषय नहीं है और इसे तब ही धारण किया जाना चाहिए जब आपने किसी अनुभवी एवं सिद्ध ज्योतिषी से परामर्श कर लिया हो क्योंकि इसके गंभीर विपरीत परिणाम हो सकते हैं। इसके दुष्परिणाम आपके जीवन पर विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं, इसीलिए किसी सिद्ध से परामर्श किये बिना इसको धारण नहीं करना चाहिए ।

आपको किस रत्ती (कैरेट) का रत्न अनुकूल रहेगा?

  • जब आप नीलम जैसे राशि रत्न ख़रीद रहे हैं तब आपको सब कुछ ठीक रखना होगा। वैदिक ज्योतिष के अनुसार नीलम का संबंध शनि से होता है जो एक पुनरुद्धार करने वाला ग्रह है। साथ ही यह ग्रह आपके विगत कर्मों के अनुसार फ़ल देता है।
  • नीलम का प्रभाव जानने के लिए आपको न्यूनतम दो कैरेट का का रत्न धारण करना चाहिए क्योंकि इस भार का रत्न से ही आपको वांछित परिणाम का पता चलेगा। यदि आप इस वजन से कम का रत्न धारण करते हैं तब आपको वांछित परिणाम प्राप्त नहीं होंगे।
  • साथ ही, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपको नीलम की अंगूठी शनिवार को दायें हाथ की मध्यमा उंगली में पहनें। अंगूठी को पहले गाय के शुद्ध दूध, मधु तथा गंगाजल के मिश्रण में 15-20 मिनट तक भिगो कर रखना चाहिए। इसको मिश्रण में से बाहर निकालते समय 11 बार ‘ॐ शनिश्चराय नम:’ का उच्चारण कर 5-10 अगरबत्ती जलानी चाहिए।

राशि चक्र की विभिन्न राशियों पर नीलम के प्रभाव

जैसा कि विदित है नीलम को बहुत सावधानी तथा एतिहात के साथ धारण करना चाहिए। गुणवत्ता तथा शुद्धता के लिहाज से नीलम रत्न का मूल्य भिन्न हो सकता है।

मेष

वे जातक जो मेष राशि में जन्म लेते हैं मंगल से शासित होते हैं और यह माना जाता है कि उनका शनि के ग्रह के साथ संबंध मधुर नहीं होते हैं। अत: इस अवधि में आपको नए अवसर नहीं मिलते हैं। इसीलिए, इस राशि में जन्मे व्यक्तियों को इसे नहीं पहनने की सलाह दे जाती है, परन्तु, शनि के द्वितीय, पंचम, नवम तथा एकादश स्थान पर होने पर यह रत्न धारण किया जा सकता है।

वृषभ

इस रमणीय रत्न को धारण करने से पूर्व आपको ज्यादा सोच-विचार करने की आवश्यकता नहीं है। जैसा कि ज्ञात है शुक्र ग्रह का शनि के साथ निष्कलंक संबंध हैं। इस कारण नीलम आपके लिए बलशाली तथा अनमोल हो सकता है।

मिथुन

हालाँकि राशि स्वामी बुद्ध तथा शनि में सामाजिक संबंध हैं परन्तु, रत्न धारण करने से पूर्व किसी प्रवीण ज्योतिषी से परामर्श लेना चाहिए। ऐसा परामर्श दिया जाता है कि बेहतर परिणामों के लिए नीलम रत्न को शनि की दशा के दौरान धारण किया जाना चाहिए।

कर्क

कर्क राशि के लिए नीलम धारण करना सर्वथा निषिद्ध है। चंद्रमा का शनि के साथ संबंध मंगल की तरह ही विपरीत है। चूँकि शनि सप्तम तथा अष्ठम स्थान पर स्थित होता है इसलिए इसे प्रतिकूल और अमांगलिक माना जाता है।

सिंह

सिंह राशि का स्वामी सूर्य है जिसके शनि के साथ संबंध सामान्य नहीं हैं। अत: ऐसे खराब संबंध के कारण इस राशि के जातकों को यह रत्न धारण नहीं करना चाहिए।

कन्या

राशि स्वामी बुद्ध तथा शनि के संबंध तथा बंधुत्व तटस्थ हैं। इसी कारण इस रत्न को धारण करने पर ना तो त्वरित परिणाम मिलेंगे और ना ही कोई हानि की आशंका है। इस राशि के जातक तब इस रत्न को धारण कर सकते हैं जब शनि की दशा में सुधार हो रहा हो और स्थिति आंशिक रूप से सकारात्मक हो गई हो।

तुला

राशि के स्वामी शुक्र का शनि के साथ संबंध मधुर होते हैं, अत: इस राशि के जातकों को यह रत्न पहनने की सलाह दी जाती है।

वृश्चिक

राशि स्वामी शनि तथा मंगल में विशेष संबंध है, जो थोड़ा खट्टा-मीठा होता है। इस स्थिति का लाभ उठाने के लिए इस राशि के जातकों को निश्चित रूप से यह रत्न पहनना चाहिए।

धनु

राशि स्वामी बृहस्पति का शनि के साथ बैर है; इसलिए इस राशि के जातकों के लिए इस रत्न को धारण करना निषेध हैं, इसके परिणाम घातक होते हैं।

मकर

मकर राशि का स्वामी शनि है; नीलम धारण करने से इस राशि के जातकों का जीवन मंगलमय हो जाता है क्योंकि यह रत्न जातक को आनंद तथा सौभाग्य देता है। साथ ही यह अमंगल तथा अन्य बुराईयों के लिए कवच का कार्य करता है।

कुंभ

नीलम, कुंभ राशि के जातकों के भाग्य तथा भविष्य में असाधारण परिवर्तन लाता है। भविष्य का अधिकतम लाभ लेने के लिए राशि स्वामी, शनि बहुत सहायक होता है।

मीन

राशि स्वामी शनि तथा बृहस्पति में घोर शत्रुता है। इसका अर्थ यह ही कि इस राशि के जातक को यह रत्न धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके दुष्परिणाम बहुत भयानक होते हैं।

नीलम की तकनीकी संरचना

नीलम की तकनीकी संरचना एल्म्युनियम ऑक्साइड (Al203) है जिसका गुरुत्वाकर्षण दायरा 3.99 से 4.00 होता है और इसका अप्रवर्तक सूचकांक 1.760-1.768 और 1.770-1.779 होता है। मोहस स्केल पर इसकी कठोरता 9 है और यह हीरा के बाद सबसे कठोर पदार्थ माना जाता है। इस रत्न की सुंदरता तथा शुद्धता इसकी पारदर्शिता में निहित है और शानदार नीले रंग के विभिन्न भेदों में प्रकट होती है। शनि ग्रह से अधिकतम लाभ उठाने के लिए नीलम धारण करने का उपयुक्त समय शनिवार का सायँ काल है।

नीलम कैसे धारण करें

नीलम धारण करने के लिए निर्धारित प्रक्रिया अपनाना आवश्यक है। नीलम धारण करने की प्रक्रिया को विस्तार से जानें।

  • सर्वप्रथम किसी प्रवीण ज्योतिषी से नीलम रत्न के संबंध में सलाह करें।
  • ज्योतिषी के पास जाने पर आप अधिकृत तथा असली नीलम रत्न ले सकते हैं।
  • अब इस रत्न को धारण करने के लिए अंगूठी की धातु के बारे में जानकारी लें। नीलम को स्वर्ण, रजत अथवा अष्ट धातु की अंगूठी में धारण करना चाहिए।
  • नीलम धारण करने के लिए शनिवार की शाम का समय सबसे उत्तम है।
  • अंगूठी की अशुद्धियों को दूर करने के लिए इसको दूध अथवा पवित्र जल में शुद्ध कर लें।
  • अंगूठी के शुद्धिकरण के बाद उसे काले रंग के कपड़े पर रखें जिसपर कुमकुम से शनि यन्त्र चिन्हित किया गया हो।
  • लिंग के अनुसार दायें अथवा बायें हाथ की माध्यम उंगली में इसे धारण किया जा सकता है। स्त्रियाँ नीलम को अपने बायें हाथ में धारण करें जबकि पुरुष इसे अपने दायें हाथ में धारण करें।
  • इस रत्न का प्रभाव 4.5 से 5 वर्ष तक रहता है तथा इस अवधि के बाद इसको बदलने की जरूरत होती है।
  • अंगूठी को रोजाना सफाई सुनिश्चित किया जाना चाहिए ।

आप रत्न की पहचान कैसे करें

किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व उसकी शुद्धता ज्ञात करना आवश्यक है। आप निम्न तरीके से असली और नकली राशि रत्न की पहचान कर सकते हैं।

  • दिन की रोशनी में रत्न को नंगी आँखों से देखें। रत्न, यदि, प्रमाणित है तब सूक्ष्मदर्शी विश्लेषण की आवश्यकता नहीं है।
  • यदि आप रत्न की प्रामाणिकता की जांच करना चाहते हैं, तो रंग के लिए जाएं, जो वांछित रंग, संतृप्ति और टोन का सही संयोजन होना चाहिए। दिन के उजाले के नीचे एक रत्न कैसे दिखता है, इसकी जानकारी होनी चाहिए। रत्न की चमक पर सावधानीपूर्वक ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • प्रामाणिकता के बारे में जानने के लिए, रत्न की सतह को देखें क्योंकि खुरदरी सतह नकली रत्न की होती है।
  • कृत्रिम रत्नों की विविध किस्में बाज़ार में उपलब्ध है जो मूल रूप में समान ही दिखती है, लेकिन इन्हें इनके नाखून पैटर्न से पहचाना जा सकता है।
  • रत्न की शुद्धता को जानने के लिए, रोशनी के नीचे रख दीजिए और जांचें कि क्या प्रकाश परावृत हो रहा है या नहीं। जब एक रत्न की शुद्धता की बात आती है तो पारदर्शिता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • साथ ही, रत्न की मज़बूती और प्रभाव को सुनिश्चित करने के लिए नीलम खरीदने से पूर्व प्रयोगशाला से प्रमाणित करवाने की प्रक्रिया अपनाएं।
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