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रत्न विवरण पीला नीलमणि (पुखराज)


पुखराज साहस और बुद्धिमता का प्रतीक है। चूँकि, यह व्यक्ति के जीवन में समृद्धि लाता है, इसकी उपयोगिता निर्णायक है और इसकी मांग प्रचुर है। बाजार में विभिन्न प्रकार के रत्न उपलब्ध हैं और उनकी अपनी विशेषता होती है। पुखराज को इनमें से सर्वाधिक संग्रहणीय है। प्रत्येक रत्न का अपना प्रभाव होता है और अपनी आध्यात्मिक गुण होते हैं।

किसी व्यक्ति के जीवन में, पुखराज समृद्धि लाता है। इससे मस्तिष्क की रचनात्मकता बढ़ती है और अनेक अवसर मिलते हैं। पुखराज के कारण मानवीय मेघा अद्वितीय होती है और शरीर पुष्ट होता है। जो पुखराज धारण करते हैं वे जीवन के विविध आनंद लेते हैं।

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लाभ

पुखराज कुछ व्यक्तियों के लिए आनंद प्रदाता है क्योंकि यह इनके जीवन में समृद्धि लाता है, रक्षा करता है तथा प्रसन्नता लाता है।

  • घर में या तिजोरी में रखने पर यह धन लाता है। साथ ही शिष्ट तथा शांतिपूर्ण मस्तिष्क की प्राप्ति में सहायक होता है। इस तरह वह बेहतर निर्णय लेने में सक्षम हो पाता है।
  • पुखराज मानसिक दबाव तथा तनाव में कमी करता है। कुल मिला कर, इसका मानवीय शरीर एवं स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साथ ही इससे शरीर, बुद्धि और स्वास्थ्य विकसित होता है। इसके कारण निष्ठा में वृद्धि होती है।
  • पुखराज के कारण संबंधों में स्थिरता और समृद्धि आती है।
  • चूँकि, पुखराज को भगवान गणेश का साथी माना गया है, इसलिए, इस रत्न को धारण करने वाला समृद्धि तथा सफलता प्राप्त करता है।
हानि

हालाँकि पुखराज को अत्यधिक सौभाग्यशाली माना गया है, परन्तु कुछ व्यक्तियों के लिए इसका प्रभाव नकारात्मक हो सकता है।

  • बृहस्पति सबल होने पर पुखराज जीवन में अवसाद और अभाव लाता है।
  • यदि कोई व्यक्ति टूटा हुआ पुखराज धारण करता है तब उसके यहाँ चोरी की संभावना बढ़ जाती है। पुखराज यदि फीका हो जाए तो भी समस्याएं आ सकती हैं।
  • पुखराज पर सफ़ेद रंग की धारियां, धारक की आयु में कमी दर्शाती है।
  • पुखराज, यदि अपना रंग बदलता है तो यह धारक के लिए कष्टों की शुरुआत का द्योतक है।
जानें कितने रत्ती (कैरेट) का पुखराज आपके अनुकूल रहेगा?

पुखराज को बृहस्पति ग्रह से मिलने वाले विभिन्न लाभों के लिए धारण किया जाता है। बृहस्पति सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह ग्रह स्वास्थ्य का कारक होने के साथ जीवन में वित्तीय स्थायित्व व निश्चिंतता लाता है। इस ग्रह का व्यक्ति के भाग्य निर्माण में मुख्य भूमिका होती है।

पुखराज का न्यूनतम भार 3.5 रत्ती (कैरेट) होना चाहिए। अधिक वजन के पुखराज का अधिक प्रभाव होता है। इसको धारण करने अथवा क्रय करने से पूर्व किसी प्रवीण ज्योतिषी से परामर्श अवश्य किया जाना चाहिए।

विभिन्न राशियों पर पुखराज का प्रभाव

पुखराज के असीमित प्रभावों के कारण इस रत्न की मांग बहुत अधिक रहती है। यह हलके पीले से गहरे पीले नारंगी रंग के प्रकारों में उपलब्ध है।

पुखराज का विभिन्न राशियों पर विभिन्न परिणाम होते हैं। आइये जानें पुखराज का विभिन्न राशियों पर क्या प्रभाव होता है।

मेष

मेष का स्वामी मंगल होता है और बृहस्पति का मित्र हैं इसलिए, मेष इस रत्न से बहुत लाभान्वित होता है। इससे व्यक्ति की साख बढ़ती है।

वृषभ

बृहस्पति तथा वृषभ के स्वामी; शुक्र के सामान्य संबंध हैं। परन्तु इसका प्रभाव भिन्न हो सकता है।

मिथुन

मिथुन को बृहस्पति की दशा तथा उपदशा का अधिकतम लाभ लेने के लिए पुखराज धारण करना चाहिए।

कर्क

कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा तथा बृहस्पति के मध्य मधुर संबंध होता है। इस राशि के जातकों के लिए पुखराज को मोती या मूंगा के साथ पहनना चाहिए। इससे सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।

सिंह

सिंह के स्वामी, सूर्य का बृहस्पति के साथ अच्छे संबंध हैं। इसलिए, इस राशि के जातकों के लिए पुखराज शुभ होता है।

कन्या

बुद्ध, कन्या राशि का स्वामी है और इसका बृहस्पति के साथ बहुत मधुर संबंध हैं। यदि कोई जातक को पढ़ाई में मुश्किल आ रही है अथवा सम्पत्ति के कारण हानि हो रही हो तो उसे निश्चित रूप से पुखराज धारण करना चाहिए।

तुला

बृहस्पति तृतीय तथा षष्टम स्थान का स्वामी होता है। अत: इस राशि के जातकों को पुखराज कदापि धारण नहीं करना चाहिए।

वृश्चिक

इस राशि में जन्मे व्यक्तियों के लिए पुखराज धारण करना अत्यंत शुभ है क्योंकि बृहस्पति को द्वितीय तथा पंचम लग्न स्थान का स्वामी माना गया है। मूँगा रत्न के साथ धारण करने पर अभूतपूर्व परिणाम मिलते हैं।

धनु

धनु राशि के जातकों को यह रत्न धारण करना चाहिए।

मकर

चूँकि, इस राशि का स्वामी शनि होता है जिसका बृहस्पति के साथ संबंध कडवे हैं, इसीलिए, इस राशि के जातकों को पुखराज नहीं पहनना चाहिए ।

कुंभ

मकर की तरह इस राशि का स्वामी भी शनि है, इसलिए, इस राशि के जातकों को पुखराज नहीं पहनना चाहिए ।

मीन

इस राशि के अंतर्गत आने वाले जातक के लिए पुखराज धारण करना एक सुखद अनुभव होगा। चूँकि बृहस्पति का वास दशम स्थान पर होता है, इसलिए, यह लाभदायक है ।

पुखराज रत्न की तकनीकी संरचना
  • पुखराज एल्यूमीनियम ऑक्साइड है
  • 3.99 से 4 गुरुत्वाकर्षण श्रेणी है और अपवर्तक सूचकांक 1.760-1768 है।
  • हीरा के बाद, यह सबसे कठोर खनिज माना जाता है और मोहस पैमाने पर इसका नाप 9 तक का है। इस खनिज की रासायनिक संरचना AL203 है।
  • इस खनिज में, पीले रंग के विभिन्न भेद उपलब्ध हैं।
  • गुरुवार को इसे पहनना शुभ माना जाता है।
  • तत्व ईथर है।
पुखराज कैसे पहनें

इसके नकारात्मक परिणामों से बचने के लिए पुखराज को निर्धारित तरीके से पहनना आवश्यक है। आइये, पुखराज धारण करने की निर्धारित विधि के बारे में जानें।

  • सर्वप्रथम किसी प्रवीण ज्योतिषी से रत्न के बारे में जाने, विशेषकर,जब रत्न पुखराज हो।
  • ज्योतिष प्रवीण की सलाह मिलने पर अधिकृत तथा वैध पुखराज रत्न लेना चाहिए।
  • पुखराज को हमेशा स्वर्ण या रजत में मंडित कर धारण करना चाहिए।
  • यह माना गया है कि रत्न का प्रभाव तथा परिणामों की गहनता उसके वजन पर निर्भर है। पुखराज सामान्यत: 2 कैरेट से अधिक का धारण किया जाना चाहिए।
  • पुखराज को बृहस्पतिवार को प्रात: शुभ घड़ी में धारण करना चाहिए।
  • अंगूठी धारण करने से पूर्व, अशुद्धियाँ हटाने के लिए उसको दूध या शुद्ध जल में डाल कर रखना चाहिए।
  • अंगूठी को शुद्ध तथा स्वच्छ करने के पश्चात पीले कपड़े पर रोली से बृहस्पति यंत्र बना कर उसे रख दें।
  • इस प्रक्रिया को पूरी करने के बाद अंगूठी को दायें हाथ की तर्जनी में पहनें। इस रत्न की प्रभाव काल 3 वर्ष होता है, इसलिए इस अवधि के बाद इसे बदल देना चाहिए।
  • अंगूठी को रोज़ाना साफ़ करें।
रत्न की पहचान कैसे करें

किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व उसकी शुद्धता ज्ञात करना आवश्यक है। आप निम्न तरीके से असली और नकली राशि रत्न की पहचान कर सकते हैं।

  • दिन की रोशनी में रत्न को नंगी आँखों से देखें । रत्न, यदि, प्रमाणित है तब सूक्ष्मदर्शी विश्लेषण की आवश्यकता नहीं है।
  • यदि आप रत्न की प्रामाणिकता की जांच करना चाहते हैं, तो रंग के लिए जाएं, जो वांछित रंग, संतृप्ति और टोन का सही संयोजन होना चाहिए। दिन के उजाले के नीचे एक रत्न कैसे दिखता है, इसकी जानकारी होनी चाहिए। रत्न की चमक पर सावधानीपूर्वक ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • प्रामाणिकता के बारे में जानने के लिए, रत्न की सतह को देखें क्योंकि खुरदरी सतह नकली रत्न की होती है ।
  • कृत्रिम रत्नों की विविध किस्में बाज़ार में उपलब्ध है जो मूल रूप में समान ही दिखती है, लेकिन इन्हें इनके नाखून पैटर्न से पहचाना जा सकता है ।
  • रत्न की शुद्धता को जानने के लिए, रोशनी के नीचे रख दीजिए और जांचें कि क्या प्रकाश परावृत हो रहा है या नहीं। जब एक रत्न की शुद्धता की बात आती है तो पारदर्शिता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • साथ ही, रत्न की मज़बूती और प्रभाव को सुनिश्चित करने के लिए पुखराज खरीदने से पूर्व प्रयोगशाला से प्रमाणित करवाने की प्रक्रिया अपनाएं।
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