Lord Shiva Aarti
पूजा के लिए शिव जी की आरती। ओम जय शिव ओंकारा आरती गीत। ॐ जय शिव ओंकारा गीत हिंदी और अंग्रेजी में। Jai shiv omkara aarti lyrics in Hindi and English. भगवान शिव हिंदू धर्म के प्रमुख और सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव की पूजा बाधाओं को समाप्त कर सकती है और भगवान शिव के आशीर्वाद से हमारे जीवन में सफलता, खुशी और समृद्धि आती है। सुबह और शाम की पूजा में भगवान शिव जी की आरती गाने से मन प्रसन्न रहता है। भगवान शिव आप की सभी इच्छाओं को पूरा करते है और दुखो को दूर करते है। “ॐ जय शिव ओंकारा ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा” आरती शिव जी की सबसे लोकप्रिय आरती है जिसे भक्तों द्वारा भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गायी जाता है। आध्यात्मिक ज्ञान वृद्धि और अलौकिक शक्तियो का आह्वान करने के लिए भक्त भगवान शिव के पूजा और अनुष्ठान में शक्तिशाली शिव मंत्रों का जाप करते हैं। ऐसा माना जाता है कि शिवरात्रि और श्रावण महीने में ॐ जय शिव ओमकारा आरती गाने वाले भक्तो से भगवान शंकर बहुत प्रसन्न होते है। भगवान शिव की पूजा आरती में शिव जी के मंत्रो का जाप करने से आध्यात्मिक शक्ति का आभास होता है। शिव जी की की प्रसन्न करने के लिए शुभ मुहूर्त में आप शिव चालीसा का पाठ और श्री शिवरामाष्टक स्तोत्रम् का जाप भी कर सकते है।
ॐ जय शिव ओंकारा आरती के बोल हिंदी और अंग्रेजी में। सोमवार और शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करने के लिए इस आरती का विशेष महत्व है।
शिवजी की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
ॐ जय शिव ओंकारा॥