दीपावली पूजा मंत्र
1. गोवत्स द्वादशी मन्त्रअर्घ्य मन्त्र
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्यं नमो नमः॥
मन्त्र अर्थ - समुद्र मन्थन के समय क्षीर
सागर से उत्पन्न सुर तथा असुरों द्वारा नमस्कार की गई देवस्वरुपिणी माता, आपको बार-बार नमस्कार है। मेरे द्वारा दिए गए इस अर्घ्य को आप स्वीकार करें।
निवेदन मन्त्र
सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता।
सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तामिदं ग्रस॥
मन्त्र अर्थ - हे जगदम्बे! हे स्वर्गवासिनी देवी!
हे सर्वदेवमयी! आप मेरे द्वारा दिए इस अन्न को ग्रहण करें।
प्रर्थना मन्त्र
सर्वदेवमये देवि सर्वदेवैरलङ्कृते।
मातर्ममाभिलषितं सफलं कुरु नन्दिनि॥
मन्त्र अर्थ - हे समस्त देवताओं द्वारा अलङ्कृत माता!
नन्दिनी! मेरा मनोरथ पुर्ण करो।
2. यमदीप मन्त्र
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यजः प्रीयतां मम॥
मन्त्र अर्थ - त्रयोदशी पर यह दीप मैं सूर्यपुत्र को
अर्थात् यमदेवता को अर्पित करता हूँ। मृत्यु के पाश से वे मुझे मुक्त करें और मेरा कल्याण करें।
3. अभ्यंग स्नान मन्त्र
सीतालोष्टसमायुक्त सकण्टकदलान्वित।
हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाणः पुनः पुनः॥
मन्त्र अर्थ - जोती हुई भूमि की मिट्टी, काँटे तथा पत्तों से युक्त,
हे अपामार्ग, आप मेरे पाप दूर कीजिए।
4. नरक चतुर्दशी दीपदान मन्त्र
नन्दिनी! मेरा मनोरथ पुर्ण करो।
2. यमदीप मन्त्र
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यजः प्रीयतां मम॥
मन्त्र अर्थ - त्रयोदशी पर यह दीप मैं सूर्यपुत्र को
अर्थात् यमदेवता को अर्पित करता हूँ। मृत्यु के पाश से वे मुझे मुक्त करें और मेरा कल्याण करें।
3. अभ्यंग स्नान मन्त्र
सीतालोष्टसमायुक्त सकण्टकदलान्वित।
हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाणः पुनः पुनः॥
मन्त्र अर्थ - जोती हुई भूमि की मिट्टी, काँटे तथा पत्तों से युक्त,
हे अपामार्ग, आप मेरे पाप दूर कीजिए।
4. नरक चतुर्दशी दीपदान मन्त्र
दत्तो दीपश्चतुर्दश्यां नरकप्रीतये मया।
चतुर्वर्तिसमायुक्तः सर्वपापपनुत्तये॥
मन्त्र अर्थ - आज चतुर्दशी के दिन नरक के अभिमानी देवता की प्रसन्नता के लिए तथा समस्त पापों के विनाश के लिए मैं चार बत्तियों वाला चौमुखा दीप अर्पित करता हूँ।
5. लक्ष्मी दिवाली मन्त्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः॥
मन्त्र अर्थ - हे धन और सम्पत्ति की देवी लक्ष्मी, आपको मेरा नमस्कार है।
6. बलि नमस्कार मन्त्र
बलिराज नमस्तुभ्यं दैत्यदानववन्दित।
इन्द्रश्त्रोऽमराराते विष्णुसान्निध्यदो भव॥
बलिमुद्दिश्य दीयन्ते दानानि कुरुनन्दन।
यानि तान्यक्षयाण्याहुर्मयैवं संप्रदर्शितम्॥
मन्त्र अर्थ - दैत्य तथा दानवों से पूजित हे बलिराज, आपको नमस्कार है। हे इन्द्रशत्रो, हे अमराराते, विष्णु के सानिध्य को देने वाला हो।
चतुर्वर्तिसमायुक्तः सर्वपापपनुत्तये॥
मन्त्र अर्थ - आज चतुर्दशी के दिन नरक के अभिमानी देवता की प्रसन्नता के लिए तथा समस्त पापों के विनाश के लिए मैं चार बत्तियों वाला चौमुखा दीप अर्पित करता हूँ।
5. लक्ष्मी दिवाली मन्त्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः॥
मन्त्र अर्थ - हे धन और सम्पत्ति की देवी लक्ष्मी, आपको मेरा नमस्कार है।
6. बलि नमस्कार मन्त्र
बलिराज नमस्तुभ्यं दैत्यदानववन्दित।
इन्द्रश्त्रोऽमराराते विष्णुसान्निध्यदो भव॥
बलिमुद्दिश्य दीयन्ते दानानि कुरुनन्दन।
यानि तान्यक्षयाण्याहुर्मयैवं संप्रदर्शितम्॥
मन्त्र अर्थ - दैत्य तथा दानवों से पूजित हे बलिराज, आपको नमस्कार है। हे इन्द्रशत्रो, हे अमराराते, विष्णु के सानिध्य को देने वाला हो।
हे कुरुनन्दन, बलि को उद्देश्य कर जो दान दिये जाते हैं वे अक्षय को प्राप्त होते हैं। मैंने इस प्रकार प्रदर्शित किया है।
7. गोवर्धन दिवाली मन्त्र
गोवर्धन धराधार गोकुलत्राणकारक।
बहुबाहुकृतच्छाय गवां कोटिप्रदो भव॥
मन्त्र अर्थ - पृथ्वी को धारण करनेवाले गोवर्धन! आप गोकुल के रक्षक हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने आपको भुजाओं में उठाया था। आप मुझे करोडों गौएं प्रदान करें।
8. गौ मन्त्र
लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता।
घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु॥
मन्त्र अर्थ - धेनुरूप में विद्यमान जो लोकपालों की साक्षात लक्ष्मी हैं तथा जो यज्ञ के लिए घी देती हैं, वह गौ माता मेरे पापों का नाश करें।
9. यम द्वितीय मन्त्र
एह्येहि मार्तण्डज पाशहस्त यमान्तकालोकधरामरेश्।
भ्रातृद्वितीयाकृतदेवपूजां गृहाण चार्घ्यं भगवन्नमोऽस्तु ते॥
7. गोवर्धन दिवाली मन्त्र
गोवर्धन धराधार गोकुलत्राणकारक।
बहुबाहुकृतच्छाय गवां कोटिप्रदो भव॥
मन्त्र अर्थ - पृथ्वी को धारण करनेवाले गोवर्धन! आप गोकुल के रक्षक हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने आपको भुजाओं में उठाया था। आप मुझे करोडों गौएं प्रदान करें।
8. गौ मन्त्र
लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता।
घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु॥
मन्त्र अर्थ - धेनुरूप में विद्यमान जो लोकपालों की साक्षात लक्ष्मी हैं तथा जो यज्ञ के लिए घी देती हैं, वह गौ माता मेरे पापों का नाश करें।
9. यम द्वितीय मन्त्र
एह्येहि मार्तण्डज पाशहस्त यमान्तकालोकधरामरेश्।
भ्रातृद्वितीयाकृतदेवपूजां गृहाण चार्घ्यं भगवन्नमोऽस्तु ते॥
मन्त्र अर्थ - हे मार्तण्डज - सूर्य से उत्पन्न हुए, हे पाशहस्त - हाथ में पाश धारण करने वाले, हे यम, हे अन्तक, हे लोकधर, हे अमरेश, भातृद्वितीया में की हुई देवपूजा और अर्घ्य को ग्रहण करो। हे भगवन् आपको नमस्कार है।
10. मार्गपालि मन्त्र
मार्गपालि नमोस्तेऽस्तु सर्वलोकसुखप्रदे।
विधेयैः पुत्रदाराद्यैः पुनरोहि व्रतस्य मे॥
मन्त्र अर्थ - हे सर्व प्राणिमात्र को सुख देनेवाली मार्गपाली, आपको मेरा नमस्कार है। पुत्र, पत्नी इत्यादि द्वारा आपको पिरोया है। मेरे कात के लिए पुन: एक बार आपका आगमन हो।
10. मार्गपालि मन्त्र
मार्गपालि नमोस्तेऽस्तु सर्वलोकसुखप्रदे।
विधेयैः पुत्रदाराद्यैः पुनरोहि व्रतस्य मे॥
मन्त्र अर्थ - हे सर्व प्राणिमात्र को सुख देनेवाली मार्गपाली, आपको मेरा नमस्कार है। पुत्र, पत्नी इत्यादि द्वारा आपको पिरोया है। मेरे कात के लिए पुन: एक बार आपका आगमन हो।