बुध वक्री वह समय है जब बुध ग्रह आकाश में पीछे की तरफ चलता दिखाई देता है। पुराने लोग ग्रहों के बारे में जानते हैं व उनके बारे में बातें करते हैं। कुछ तारे अन्यों की तुलना में हमेशा चमकते रहते हैं व एक रात से दूसरी रात तक आकाश में घूमते हुऐ दिखाई देते हैं। तथाकथित आकाश के माध्यम से घूमने वाले ग्रहों के परिवर्तन को ‘वक्री’ कहा जाता है। वास्तव में ग्रह कक्षा में आगे बढ़ना शुरू नहीं करता है। ‘वक्री’ अन्य संबंधित ग्रहों व पृथ्वी की स्थिति के आधार पर दिखाई देती है। यह सूर्य के चारों ओर अपनी स्थिति पर निर्भर करती हैं।
बुध वक्री साल में तीन से चार बार होता है जब बुध सूर्य से आगे बढ़ने लगता है। भू-मंडल में बुध विपरीत दिशा में चलता दिखाई देता है। ऐसा कहा जाता है कि पांच अलग-अलग अवधियों में बुध वक्री होता है।
बुध वक्री के यह पांच अवस्थाऐं
अब, हम इन्हें विस्तार से समझेंगे।
1. छाया चरण के पूर्व
यह अवधि में, बुध धीरे होना शुरू हो जाता है व कक्षा में उसी रास्ते पर आगे बढ़ता है व बाद में रूक कर वक्री होना शुरू हो जाता है। बुध वक्री की वजह से छाया चरण की पूर्व अवस्था में कठिनाईयां आती है। बहुत से सामान्य तरीकों से हम बुध वक्री में सहायता करते हैं जैसे अपने अन्दर की आवाज को नजरअंदाज करना, अन्र्तज्ञान व संकेत जो कि हमें ब्रह्माण्ड में दिखाई देते है।
2. बुध वक्री दशा
बुध, छाया चरण के प्रभाव से वक्री होने से पहले धीरे होना शुरू हो जाता है। हिन्दू कैलेंडर में, यह बैंगनी रंग में बनाया जाता है। इस अवधि में बुध आकाश में स्थिर दिखाई देता है। यह अक्सर बुध वक्री के शिखर के रूप में माना जाता है एवं यह लाल दिखाई देता है।
3. बुध वक्री अवस्था
वक्री अवस्था के बाद बुध पीछे की तरफ चलना शुरू कर देता है। बुध वक्री से जुड़े सभी सामान्य अनुभव संचार, यात्रा, सूचना वितरण, कम्प्यूटर प्रोग्राम व सीखना है। यह सभी चीजें गल्तियों व विवादों से भरी हैं। सामान्य तौर पर एक तिहाई आबादी द्वारा बुध वक्री का प्रत्येक चरण महसूस होता है। वक्री का प्रभाव उन लोगों पर होता है जो कम्प्यूटर, शिक्षा एवं संचार से सीधे जुड़े हुऐ हैं। बुध वक्री काम के माप व काम की समयावधि को बढ़ाता है।
बुध वक्री के दौरान अपने काम को देखते रहना अनिवार्य कार्य है। इस अवधि के दौरान बैठकों, कार्यक्रमों व प्रतिबद्धताओं पर ध्यान रखना चाहिए। इसके विपरित, यह समय वास्तव में रूके हुए कार्यों को पूरा करने, दोस्तों व सहकर्मियों से मिलने में फायदेमंद हो सकता है।
4. बुध प्रत्यक्ष अवस्था
इस अवधि में बुध की आकाश में पीछे जाने की गति धीरे-धीरे कम होती दिखाई देती है। यह दूसरी अवस्था है जब वक्री स्थिति अपने शिखर पर होती है। कैलेंडर में इस अवधि को भूरे गहरे रंग में दर्शाया गया है जो कि बुध वक्री अवस्था के अंतिम चरण व छाया चरण के बाद के समय की शुरूआत को दर्शाता है।
5. छाया चरण के बाद
इस अवधि में बुध आगे की तरफ बढ़ना शुरू होता है। इस प्रक्रिया के दौरान यह पूरा रास्ता काटता है जिससे यह पीछे गया था। गलत निर्णय लेना, ध्यान व अवधारणा की कमी जैसी त्रुटियां इस अवधि के दौरान प्रकट होती हैं। शुरू के कुछ दिनों में छाया चरण के बाद की अवधि का प्रभाव बहुत ही मजबूत होता है।
बुध प्रत्यक्ष
इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि बुध वक्री त्रृटियों को दूर करती हैं जो कि अज्ञान से पैदा हुई हैं, जिनके बारे में उचित ध्यान नहीं देते, गलत धारणाओं, गलत मान्यताओं या समझ से भी। इसलिए, इस अवधि के दौरान कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले जांच कर लेनी चाहिए। इस अवधि का इस्तेमाल गल्तियों को पकड़ने में करना चाहिए चाहे वो हमारी अपनी हो या दूसरों की, जो कि हमारे जीवन को लंबे समय तक प्रभावित कर सकती हैं।
बुध वक्री कुछ लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है, परंतु यह शांति प्राप्त करने के लिए पुराने काम पूरे करने में संभावित समय है। सौंपा गया काम, समीक्षा व रचनात्मक लेखन जैसे कुछ कार्य इस अवधि के दौरान पूरे किये जा सकते हैं। इस समय में पुरानी कल्पित कथाओं को छोड़कर नई दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। इस अवधि में नऐ दिशा-निर्देश व अन्वेषण है जो कि उदासीन व पुरानी मान्यताओं को तोड़ते हैं।
बुध वक्री के प्रभाव
बुध वक्री साल में तीन से चार बार दिखाई देता है। इस अवधि में, बुध ग्रह आकाश में लगभग तीन सप्ताह के लिए पीछे की तरफ चलता दिखाई देता है। यह केवल चलता दिखाई देता है, परंतु वास्तव में कोई भी ग्रह अपनी संबंधित कक्षा से बाहर नहीं जा सकता। बुध वक्री वास्तव में एक भ्रम है जो कि एक विशेष अवधि में पृथ्वी से देखा जाने पर बनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि बुध अन्य ग्रहों की तुलना में अधिक बार घूमता है। बुध सूर्य से 28 डिग्री से ज्यादा कभी भी नहीं घूम सकता। यह जाना जाता है कि जब यह सूर्य से अंतिम दूरी (सबसे दूर के स्थान) तक पहुंच जाता है तो यह अपनी दिशा बदल लेता है।
किसी भी बुध वक्री का समय, नई योजना, नई कार्यवाई, फिर से करना, पुनर्विचार करना, पुनर्गठन, दोबारा शुरू करना, पुनरावृति करना व पुनमूल्यांकन करने का समय है जब तक बुध वक्री समाप्त नहीं होता है। इस समयावधि में, सभी परिपूर्तियों को संभाला जा सकता है जैसे कि कर्ज चुकाना, कागजी कार्यवाई को पूरा करना, हमारे किये हुए वादे जो कि अभी तक पूरे नहीं हुऐ। इन सभी चीजों की जिम्मेदारी से संभालना चाहिए।
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