जब शनि वक्री होता है तो यह वक्री क्षेत्र में आ जाता है व धीरे होना प्रारंभ हो जाता है। यह स्थिर होने से पहले पीछे की तरफ चलना प्रारंभ हो जाता है व मंद गति से आगे की दिशा में बढ़ता है। जैसा की ज्ञात है शनि पिछे की दिशा में आगे बढ़ने से पहले कुछ समय के लिए स्थिर रहता है। शनि जब पिछे की दिशा में बढ़ता है तो यह समय महत्वपूर्ण होता है जो कि गणना के लिए उल्लेखित किया जाता है।
जब शनि प्रगतिशील होता है तो यह आगे की दिशा में बढ़ना प्रारंभ कर देता है। जब तक यह पूरी गति हासिल नहीं कर लेता यह वक्री क्षेत्र में ही रहता है। जब शनि आगे की दिशा में बढ़ना प्रारंभ होता है तो यह समय महत्वपूर्ण होता है व गणना के लिए उल्लेखित किया जाता है।
सभी वक्री क्षेत्रों में मुख्य चार स्थान होते हैं: पूर्व स्थान, छाया, दिशा स्थान व निवारण ।
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