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2024 संकष्टी चतुर्थी Babol, Mazandaran, Iran

date  2024
Babol, Mazandaran, Iran

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संकष्टी चतुर्थी

2024

Babol, Mazandaran, Iran

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संकष्टी चतुर्थी

संकष्टी चतुर्थी/संकटहरा चतुर्थी का त्यौहार भगवान गणेश जी को समर्पित है। श्रद्वालू इस दिन अपने बुरे समय व जीवन की कठिनाईओं को दूर करने के लिए भगवान गणेश जी की पूजा करते हैं। इस त्यौहार को प्रत्येक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। तामिलनाडू राज्य में इसे संकट हरा चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। मंगलवार के दिन पड़ने वाली चतुर्थी को अंगरकी चतुर्थी भी कहा जाता है एवं इसे सबसे शुभ माना जाता है।

हिन्दू पंचांग में हर एक चन्द्र महीने में दो चतुर्थी तिथि होती है। पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है तथा अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। भारत के उत्तरी एवं दक्षिणी राज्यों में संकष्टी चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाता है। संकष्टी शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसका मतलब होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’ ।

साल 2024 के लिए संकष्टी चतुर्थी की सूची

तिथि दिनांक तिथि का समय

संकष्टी चतुर्थी जनवरी 2024

28 जनवरी

(रविवार)

समय देखें

संकष्टी चतुर्थी फरवरी 2024

27 फरवरी

(मंगलवार)

समय देखें

संकष्टी चतुर्थी मार्च 2024

29 मार्च

(शुक्रवार)

समय देखें

संकष्टी चतुर्थी अप्रैल 2024

28 अप्रैल

(रविवार)

समय देखें

संकष्टी चतुर्थी मई 2024

27 मई

(सोमवार)

समय देखें

संकष्टी चतुर्थी जून 2024

25 जून

(मंगलवार)

समय देखें

संकष्टी चतुर्थी जुलाई 2024

24 जुलाई

(बुधवार)

समय देखें

संकष्टी चतुर्थी अगस्त 2024

23 अगस्त

(शुक्रवार)

समय देखें

संकष्टी चतुर्थी सितम्बर 2024

20 सितम्बर

(शुक्रवार)

समय देखें

संकष्टी चतुर्थी अक्तूबर 2024

19 अक्तूबर

(शनिवार)

समय देखें

संकष्टी चतुर्थी नवम्बर 2024

18 नवम्बर

(सोमवार)

समय देखें

संकष्टी चतुर्थी दिसम्बर 2024

18 दिसम्बर

(बुधवार)

समय देखें

संकटहरा चतुर्थी की पूजा विधि

श्रद्धालू इस दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान गणेश जी की पूजा करते हैं एवं व्रत रखते हैं। जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखते हैं वह केवल कच्ची सब्जियां, फल, साबुदाना, मूंगफली एवं आलू खाते हैं। शाम के समय भगवान गणेश जी की प्रतिमा को ताजे फूलों से सजाया जाता है। चन्द्र दर्शन के बाद पूजा की जाती है एवं व्रत कथा पढ़ी जाती है। तथा इसके बाद ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

चतुर्थी के दिन चन्द्र दर्शन को बहुत ही शुभ माना जाता है। चन्द्रोदय के बाद ही व्रत पूर्ण होता है। मान्यता यह भी है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पूरे वर्ष में संकष्टी चतुर्थी के 13 व्रत रखे जाते हैं जो कि इसके क्रम हो सही बनाते हैं, प्रत्येक व्रत के लिए एक अलग व्रत कथा है। ‘अदिका’ कथा जो कि सबसे आखिर व्रत में चार साल बाद एक बार पढ़ी जाती है ।

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