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2047 सत्यनारायण पूजा Columbus, Ohio, United States

date  2047
Columbus, Ohio, United States

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सत्यनारायण पूजा

2047

Columbus, Ohio, United States

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सत्यनारायण पूजा

‘भगवान नारायण’ का आशीर्वाद पाने के लिए पूर्णिमा के दिन श्री सत्यनारायण पूजा की जाती है। इन्हें सत्य का अवतार कहा जाता है। पूर्णिमा के दिन श्रीसत्यनाराण पूजा व कथा के दौरान ‘श्री नारायण’ व ‘भगवान विष्णु’ की विशेष पूजा की जाती है।

इस पूजा के दिन श्रद्धालू उपवास करते हैं। सुबह व सांय दोनों समय पूजा के लिए शुभ माने जाते हैं। सांय काल की पूजा ज्यादा शुभ मानी जाती है इस समय श्रद्धालू पूजा के बाद प्रसाद वितरण कर उपवास पूर्ण करते हैं।

mPanchang पर सांयकालीन पूजा की तिथियां बताई गई हैं। यह तिथियां पूर्णिमा से एक दिन पहले चतुर्दशी तिथि पर भी आ सकती हैं। जो श्रद्धालू पूर्णिमा के दिन सुबह के समय पूजा करना चाहते हैं वह mPanchang पर देख सकते हैं। कई बार पूर्णिमा तिथि सुबह के समय में ही समाप्त हो जाती है। इसलिए ‘श्री सत्यनारायण’ पूजा विधि को पूजा के दिन सांय काल में प्राथमिकता दी जाती है।

साल 2047 के लिए सत्यनारायण पूजा की सूची

तिथि दिनांक तिथि का समय

श्री सत्यनारायण व्रत (पौष पूर्णिमा)

11 जनवरी

(शुक्रवार)

समय देखें

श्री सत्यनारायण व्रत (माघ पूर्णिमा)

10 फरवरी

(रविवार)

समय देखें

श्री सत्यनारायण व्रत (फाल्गुन पूर्णिमा)

11 मार्च

(सोमवार)

समय देखें

श्री सत्यनारायण व्रत (चैत्र पूर्णिमा)

09 अप्रैल

(मंगलवार)

समय देखें

श्री सत्यनारायण व्रत (वैशाख पूर्णिमा)

09 मई

(गुरुवार)

समय देखें

श्री सत्यनारायण व्रत (ज्येष्ठ पूर्णिमा)

07 जून

(शुक्रवार)

समय देखें

श्री सत्यनारायण व्रत (आषाढ़ा पूर्णिमा)

07 जुलाई

(रविवार)

समय देखें

श्री सत्यनारायण व्रत (श्रावण पूर्णिमा)

05 अगस्त

(सोमवार)

समय देखें

श्री सत्यनारायण व्रत (भाद्रपद पूर्णिमा)

03 सितम्बर

(मंगलवार)

समय देखें

श्री सत्यनारायण व्रत (आश्विन पूर्णिमा)

03 अक्तूबर

(गुरुवार)

समय देखें

श्री सत्यनारायण व्रत (कार्तिक पूर्णिमा)

02 नवम्बर

(शनिवार)

समय देखें

श्री सत्यनारायण व्रत (मार्गशीर्ष पूर्णिमा)

01 दिसम्बर

(रविवार)

समय देखें

श्री सत्यनारायण व्रत (मार्गशीर्ष पूर्णिमा)

31 दिसम्बर

(मंगलवार)

समय देखें

पूरी रस्म-रिवाज के साथ ‘भगवान सत्यनारायण’ की पूजा की जाती है, यह ‘भगवान विष्णु’ के अवतार हैं। भगवान विष्णु को प्रतिमा को ‘पंचामृत’ के मिश्रण से पवित्र किया जाता है जो कि ‘दूध, शहद, घी, दही व चीनी’ के मिश्रण से बनाया जाता है। प्रसाद गेहूं, चीनी, केले व अन्य फ्रूट से बनाया जाता है व इसमें तुलसी के पत्तों को मिश्रित किया जाता है।

पूजा के समय सभी मौजूद श्रद्धालुओं को पूजा की कहानी (कथा) सुनाई जाती है। कथा पूजा का विस्तृत रूप है। यह पूजा सभी को आने वाली आपदाओं से बचाती है।

पूजा आरती के साथ सम्पूर्ण होती है। इसके लिए भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने ‘कपूर’ से अग्नि की लौ जलाई जाती है। पूजा के बाद सभी श्रद्धालुओं को ‘पंचामृत’ का प्रसाद दिया जाता है। श्रद्धालू आम तौर पर ‘पंचामृत’ का प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही उपवास तोड़ते हैं।

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