भगवान श्रीकृष्ण के बारे में वह सब कुछ जो आपको आवश्यक रूप से जानना चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण दुनिया में सबसे अधिक पूजनीय और लोकप्रिय हिंदू देवताओं में से एक हैं। उन्हें सर्वोच्च भगवान और भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजा जाता है। कुछ हिंदू समुदायों में, भगवान श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का नौवां अवतार भी माना जाता है। उन्हें शास्त्रों में बालगोपाल, कान्हा, कृष्ण कन्हैया, गोविंद और कई अन्य लोकप्रिय नामों से भी जाना जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण के 108 नामों की सूची देखें, जो उनकी पूजा के लिए उपयोग किए जाते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण कौन हैं?
भगवान श्रीकृष्ण को प्रेम, करुणा और भक्ति का देवता माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में उन्हें सर्वशक्तिमान, मनचला, दिलकश प्रेमी और एक महान योद्धा के रूप में चित्रित किया गया है। चूँकि वे भगवान विष्णु के एकमात्र अवतार हैं जिनके पास सभी 16 कलाएँ या गुण हैं, इसलिए उन्हें पूर्णावतार या पूर्ण अवतार कहा जाता है।
यहाँ देखे कृष्णा जन्माष्टमी सजावट के आईडिया।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में वासुदेव और राजकुमारी देवकी से हुआ था। राजकुमारी देवकी मथुरा के दुष्ट राजा कंस की बहन थी। कहानियों के अनुसार, राजकुमारी देवकी और वासुदेव के विवाह के समय, एक आकाशवाणी हुई थी कि देवकी की आठवीं संतान राजा कंस को मार डालेगी और उसके अत्याचारों को समाप्त कर देगी। भगवान श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान थे। अतः, नवजात श्रीकृष्ण (बालगोपाल) की रक्षा के लिए, वासुदेव उन्हें गोकुल में अपने चचेरे भाई नंद और माता यशोदा के पास ले गए। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को पाला और राजा कंस के बुरे इरादों से उनकी रक्षा की।
श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने से मनुष्य को सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म चार चक्रीय युगों के तीसरे युग द्वापुर युग के दौरान हुआ था। उनके जन्म का समय हिंदू महीने भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में हुआ बताया जाता है। अतः इस दिन को हिंदुओं द्वारा हर साल जन्माष्टमी या कृष्णष्टमी या भगवान श्रीकृष्ण की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
देखे | इसे बार कैसे बनेगी मथुरा में कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव।
भगवान कृष्ण के जन्म का दैवीय महत्व
ऐसा कहा जाता है कि जब भी पृथ्वी पर पाप बढ़ता है, तब भगवान विष्णु बुराई को मिटाने और धर्म की स्थापना के लिए पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भी इसी उद्देश्य से जुड़ा है। ब्रज के लोगों को राजा कंस की यातना और अत्याचार से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया। बाद में, उन्होंने महाभारत में भाग लिया और कौरवों के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए अर्जुन और अन्य पांडवों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने अर्जुन के मन को प्रबुद्ध करने के लिए कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश दिया।
यहाँ देखे कृष्ण जन्माष्टमी भजन।
भगवान श्रीकृष्ण का रूप
बाल कृष्ण या बाल गोपाल को एक हाथ में मक्खन के साथ अपने हाथों और घुटनों पर क्राॅल करने वाले छोटे बच्चे के रूप में चित्रित किया गया है। जबकि वयस्क भगवान श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु की तरह नीली-काली त्वचा के साथ चित्रित किया गया है। वह पीले रंग की धोती और सिर पर मोर पंख का मुकुट पहने बांसुरी बजाते नजर आते हैं। अधिकतर, उनकी मूर्ति के साथ देवी राधा की मूर्ति होती है।
Happy Krishna Janmashtami 2021 : शेयर करे कृष्ण जन्माष्टमी पर अपनों को जन्माष्टमी की बधाई।
भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की समयरेखा
भगवान श्रीकृष्ण का पृथ्वी पर जीवन काल 126 वर्ष 8 महीने का था। उन्होंने अपना जीवन 3 प्रमुख चरणों में बिताया, जिन्हें श्रीकृष्ण लीला के रूप में जाना जाता है। यहां 3 मुख्य श्रीकृष्ण लीलाओं के नाम और बिताए गए जीवन काल के बारे में जानें।
उम्र | जीवन की घटनाएं |
जन्म |
भगवान श्रीकृष्ण ने 19/20 जुलाई को भाद्रपद महीने में रोहिणी नक्षत्र के तहत कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन आधी रात को 3228ईसा पूर्व के आसपास राजकुमारी देवकी और वासुदेव के यहां जन्म लिया। वासुदेव उन्हें मथुरा से उनके पालक माता-पिता नंद और यशोदा के पास गोकुल ले गए। गर्ग मुनि ने उनका नामकरण संस्कार किया और बच्चे का नाम ‘कृष्ण’ रखा। |
3 साल की उम्र तक |
भगवान कृष्ण गोकुल में रहते थे। उन्होंने पूतना, शकतासुर, त्रिनिवर्त आदि राक्षसों का वध किया। |
3-6 साल | इस दौरान वह वृंदावन चले गए और बकासुर, अघासुर, धेनुका का वध किया और फिर नंदग्राम चले गए। |
7-10 साल |
उन्होंने गोवर्धन पर्वत उठाकर गोवर्धन पूजा शुरू की। श्रीकृष्ण ने गोपियों और देवी राधा के साथ रास-लीला खेली। इस समय के दौरान उन्हें राजा कंस के साथ पहलवानी के लिए मथुरा आमंत्रित किया गया था। श्रीकृष्ण ने केनुरा और बलराम ने मुस्तिका का वध किया। राजा कंस का वध भगवान श्रीकृष्ण ने किया था जबकि उसके भाइयों को भगवान बलराम ने मार डाला था। |
10-28 वर्ष |
इस दौरान श्रीकृष्ण मथुरा में रहते थे, उन्होंने बलराम के साथ गर्गमुनि द्वारा गायत्री का जाप करने की पहल की। उन्होनें गुरुकुल में संदीपनी मुनि द्वारा बलराम और उद्धव के साथ चैंसठ कलाओं की दीक्षा ली। उसने कई राक्षसों को मारा और मथुरा की रक्षा की। |
29-83 वर्ष |
उन्होंने द्वारका साम्राज्य की स्थापना की। भगवान श्रीकृष्ण का विवाहः उन्होंने रुक्मिणी और 7 अन्य रानियों से विवाह किया। नरकासुर के राज्य से 16,100 राजकुमारियों को बचाया, श्री कृष्ण की 1,61,080 संतान हुईं। उन्होनें इंद्रप्रस्थ में सिसुबाला का वध किया। द्रौपदी को कौरवों के चीर हरण से बचाया। |
84-125 साल |
कुरुक्षेत्र में युद्ध (3138 ईसा पूर्व) के समय श्रीमद्भगवद गीता का उपदेश दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ में राजा परीक्षित को बचाया। उन्होंने उद्धव को उद्धव गीता का पाठ पढ़ाया और राजा युधिष्ठिर को अश्वमेध यज्ञ करने में मदद की। यादव जाति का विलोपन स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने किया था। |
125 साल की उम्र में | स्वर्गारोहण या भगवान कृष्ण की स्वर्गवासः उन्होंने 18 फरवरी, 3102 ईसा पूर्व में अपना शरीर त्याग दिया था। |
जानिए दही हांडी उत्सव के बारे में।
भगवान श्रीकृष्ण द्वारा श्रीमद्भगवद गीता का उपदेश
“जो कुछ हुआ, अच्छे के लिए हुआ। जो हो रहा है अच्छे के लिए हो रहा है। जो भी होगा, अच्छे के लिए ही होगा।’’
‘‘आपको कर्म करने का अधिकार है, लेकिन कर्म के फल के लिए कभी नहीं, आपको कभी भी लाभ के लिए कार्य नहीं करना चाहिए, और न ही आपको निक्रियता की लालसा करनी चाहिए।’’
‘‘काम, क्रोध और लोभ नरक के तीन द्वार हैं।’’
‘‘मनुष्य जब इन्द्रिय सुख में रहता है, तो उसके प्रति आकर्षण उत्पन्न होता है, आकर्षण से इच्छा उत्पन्न होती है, अधिकार की वासना उत्पन्न होती है, और यह वासना, क्रोध की ओर ले जाती है।’’
‘‘आत्मा विनाश से परे है। कोई भी उस आत्मा का अंत नहीं कर सकता जो चिरस्थायी है।”
‘‘आत्मा का न तो कभी जन्म होता है और न ही मृत्यु। वह अस्तित्व में नहीं है, अस्तित्व में नहीं आती है, और अस्तित्व में नहीं आएगी। वह अजन्मी, शाश्वत, सदा विद्यमान और आदिम है। शरीर मरता है पर आत्मा नहीं मरती’’
"यदा-यदा ही धर्मस्यः
ग्लानिर्भवती भारतः
अभ्युत्थानम अधर्मस्यः
तदात्मानं सृजाम्यहम्…
परित्राणाय साधुनाम्
विनाशाय च दुष्ष्कृताम्
धर्म-संस्थापनार्थय
सम्भवामी युगे-युगे...’’"
जन्माष्टमी की शुभकामनाएं, फोटोज तस्वीरें, चित्र, और वॉलपेपर
जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का जश्न मनाने और आनंद लेने का समय है। इस शुभ दिन पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें और सुंदर तस्वीरों, बधाई संदेश, चित्रों और भगवान श्रीकृष्ण के वॉलपेपर के साथ भगवान श्रीकृष्ण की सकारात्मकता और प्रेरक उपदेश एक दूसरे के साथ साझा करें।
इस जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। आप अपने जीवन को उज्ज्वल और सकारात्मक बनाने के लिए उनके जीवन और शिक्षाओं से शिक्षा लें। आपको जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई!
भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद आपको खुशीयां, सुख, ज्ञान और समृद्धि प्रदान करे। आपको कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। हैप्पी जन्माष्टमी!
जन्माष्टमी के पावन पर्व पर आपका जीवन अपार खुशियों, शांति, प्रेम और आनंद से भर जाए। आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की! इस जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण आपको एक सुखी और पवित्र जीवन का आशीर्वाद दें। आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई।
भगवान श्रीकृष्ण आपके और आपके परिवार को खुशियां और आनंद प्रदान करें। जन्माष्टमी के इस खूबसूरत और शुभ अवसर पर आपको जन्माष्टमी की ढेर सारी शुभकामनाएं! हरे कृष्णा! हरे राम!
Leave a Comment