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2020 कार्तिका अमावस्या

date  2020
Columbus, Ohio, United States

कार्तिका अमावस्या
Panchang for कार्तिका अमावस्या
Choghadiya Muhurat on कार्तिका अमावस्या

 जन्म कुंडली

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कार्तिक अमावस्या क्या है?

हिंदू महीने कार्तिक के जिस दिन चंद्रमा नहीं होता है तो उसे कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) कहा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक महीना अक्टूबर/नवंबर महीने में आता है। कार्तिक अमावस्या को दुनिया भर में दिवाली के दिन के रूप में भी मनाया जाता है।

कार्तिक अमावस्या से जुड़ी कहानी

किंवदंतियों के अनुसार, एक बार राजा बलि ने सभी देवताओं को देवी लक्ष्मी के साथ कैद कर लिया था और उन्हें कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन भगवान विष्णु द्वारा मुक्त करवाया गया था। हालाँकि, इस घटना से भयभीत होकर, देवी लक्ष्मी के साथ सभी देवता क्षीर सागर (दूध का महासागर) में चले गए। अतः, कार्तिक अमावस्या के दिन उनके लिए विशेष व्यवस्था की जाती है ताकि वे क्षीर सागर में न जाएं, बल्कि लोगों के घरों में रहें, और लोग उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

एक अन्य कथा में बताया गया है कि इस दिन भगवान राम 14 साल का वनवास पूरा करने के बाद अपनी पत्नी, देवी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। उनके आगमन का जश्न मनाने के लिए, अयोध्या के लोगों ने मिट्टी के दीपक जलाए और तब से कार्तिक अमावस्या के दिन दीपावली मनाई जाती है। वनवास के दौरान, भगवान राम ने राक्षसों के राजा रावण का वध किया था, इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है।

कार्तिक अमावस्या का क्या महत्व है?

  • इस अमावस्या की रात, देवी श्यामा काली की पूजा एक विशेष तांत्रिक पूजा के माध्यम से की जाती है। देवी श्यामा काली देवी दुर्गा का पहला अवतार हैं। यह पूजा हमारे आस-पास की अनैतिकता और नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए की जाती है। कार्तिक अमावस्या की रात में यह तांत्रिक पूजा लोगों को खुशीयां और समृद्धि प्रदान करती है और दुर्भाग्य व खतरों से बचाती है।
  • हिंदू शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक माह सबसे शुभ महीनों में से एक है और कार्तिक अमावस्या का महत्व अन्य सभी अमावस्याओं की तुलना में अधिक है। अतः इस दिन, हिंदू अनुष्ठान करने चाहिए और पवित्र नदियों, झीलों या तालाबों में डुबकी लगानी या स्नान करना चाहिए। इसके बाद मंदिर जाना चाहिए और भगवान की मूर्ति के सामने दीए जलाए जाने चाहिए।
  • माना जाता है कि कार्तिक अमावस्या के दिन समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन को कमला जयंती के रूप में भी जाना जाता है। जो लोग इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, वह धन, समृद्धि और खुशियां प्राप्त करता है।
  • अन्य अमावस्याओं की तरह, कार्तिक अमावस्या को पैतृक संस्कार करने के लिए भी शुभ दिन माना जाता है। इस दिन पितरों की पूजा करके, उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है और अपनी जन्म कुंडली में मौजूद पूर्वजों के सभी दोषों और ऋणों से छुटकारा पा सकते हैं।
  • लोकप्रिय मान्यताओं के अनुसार, किसी भी तरह का पवित्र अनुष्ठान करकेे या पवित्र नदियों में स्नान करके, किसी झील या तालाब में कार्तिक अमावस्या के दिन आपके सभी बुरे कर्मों को कम करते हैं और आपको मोक्ष प्राप्ति हो सकती है।
  • कार्तिक कृष्ण पक्ष सभी पापों से छुटकारा पाने के लिए, भगवान विष्णु से प्रार्थना करने का सबसे अच्छा दिन माना जाता है। देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु से प्रार्थना करना और कार्तिक अमावस्या व्रत का पालन करना, जातक की सभी इच्छाओं को पूरा करता है।

कार्तिक अमावस्या पूजा और व्रत के अनुष्ठान क्या हैं?

यहाँ कार्तिक अमावस्या व्रत या पूजा का पालन करते हुए किए जाने वाले अनुष्ठान बताए गए हैं।

  • एक पवित्र सरोवर, तालाब या नदी में सुबह स्नान करें और भगवान सूर्य को अर्घ अर्पित करें। साथ ही बहते पानी में तिल चढ़ाएं।
  • सुबह के समय, नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें और भगवान से आशीर्वाद लें। ऐसा करने से आपकी जन्म कुंडली में मौजूद सभी ग्रह दोषों का प्रभाव कम हो जाएगा।
  • ग्रहों के सभी बुरे प्रभावों से छुटकारा पाने के लिए विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  • शनि ग्रह द्वारा निर्धारित सभी कष्टों और प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए मंदिर में दीया या मिट्टी का दीपक जलाएं।
  • भगवान शिव की पूजा करें और भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करें।

नवग्रह स्तोत्रम

नवग्रह ध्यानश्लोकं

आदित्याः चः सोमाय मंगलाय बुधाय चः।

गुरू शुक्र शनिभयसकं राहवे केतवे नमः।।

रवि

जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महद्युतिं।

तमोरिसर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरं।।

चन्द्र

दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवं।

नमामि शशिनं सोंमं शंभोर्मुकुट भूषणं।।

मंगल

धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांतीं समप्रभं।

कुमारं शक्तिहस्तंच मंगलं प्रणमाम्यहं।।

बुध

प्रियंगुकलिका शामं रूपेणा प्रतिमं बुधं।

सौम्यं सौम्य गुणपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहं।।

गुरू

देवानांच ऋषिणांच गुरुंकांचन सन्निभं।

बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिं।।

शुक्र

हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूं।

सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहं।।

शनि

नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्वरं।।

राहु

अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनं।

सिंहिका गर्भसंभूतं तं राहूं प्रणमाम्यहं।।

केतू

पलाशपुष्प संकाशं तारका ग्रह मस्तकं।

रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहं।।

इति व्यासमुखोद्गीतम् यः पठेत् सुसमाहितः।

दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्न शांतिर्भविष्यति ।।

नर नारी नृपाणाम् चः भेवत् दुःस्वप्ननाशम्।

ऐश्वर्यमतुलं तेषाआंरोग्यं पुष्टिवर्धनम्।।

ग्रह नक्षत्रजः पीडज्ञ स्तस्कराग्नि समुभ्दवाः।

तासर्वाः प्रशमं याान्ति व्यासो ब्रुते नसमंसयः।।

अमावस्या व्रत के दिन

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) से शुरू होने वाले पुरे वर्ष में 12 अमावस्या होता है। यहाँ कार्तिक अमावस्या के अलावा अमावस्या के दिनों की सूची दी गई है।

क्र.सं.

हिंदू महीना

अमावस्या व्रत नाम और उसी दिन के त्योहार

1

चैत्र

चैत्र अमावस्या

2

वैशाख

वैशाख अमावस्या

3

ज्येष्ठ

ज्येष्ठ अमावस्या, दर्श भावुक अमावस्या, शनि जयंती, वट सावित्री व्रत

4

आषाढ़

आषाढ़ अमावस्या

5

श्रावण

श्रावण अमावस्या

6

भाद्रपद

भाद्रपद अमावस्या, पिथौरी अमावस्या

7

अश्विन

आश्विन अमावस्या, सर्व पितृ अमावस्या, सर्वपितृ दर्श अमावस्या

8

कार्तिक

कार्तिक अमावस्या, दिवाली, लक्ष्मी पूजा

9

मार्गशीर्ष

मार्गशीर्ष अमावस्या

10

पौष

पौष अमावस्या

11

माघ

माघ अमावस्या, मौनी अमावस

12

फाल्गुन

फाल्गुन अमावस्या

यदि अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है - सोमवती अमावस्या कहलाती है।

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