Shri Hanuman Aarti
पूजा के लिए हनुमान जी की आरती। आरती कीजै हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की आरती गीत। आरती कीजै हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की आरती गीत हिंदी और अंग्रेजी में - Aarti Kije Hanuman Lala ki Aarti Lyrics in Hindi and English. भगवान बजरंगबली हिंदू धर्म के प्रमुख और सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, हनुमान जी की पूजा बाधाओं को समाप्त कर सकती है और भगवान हनुमान जी के आशीर्वाद से हमारे जीवन में सफलता, खुशी और समृद्धि आती है। सुबह और शाम की पूजा में हनुमान जी की आरती गाने से मन प्रसन्न रहता है। हनुमान जी आपकी सभी इच्छाओं को पूरा करते है और दुखों को दूर करते है। “आरती कीजै हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की” आरती हनुमानजी की सबसे लोकप्रिय आरती है जिसे भक्तों द्वारा हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गायी जाता है। आध्यात्मिक ज्ञान वृद्धि और अलौकिक शक्तियो का आह्वान करने के लिए भक्त भगवान बजरंगबली की पूजा और अनुष्ठान में शक्तिशाली हनुमान मंत्रों का जाप करते हैं। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जयंती और दीवाली हनुमान पूजा से जुड़े विशेष उत्सवों में आरती कीजै हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की आरती गाने वाले भक्तो से हनुमान जी बहुत प्रसन्न होते है। हनुमान जी की पूजा आरती में हनुमान जी के मंत्रों का जाप करने से आध्यात्मिक शक्ति का आभास होता है। हनुमान जी की प्रसन्न करने के लिए शुभ मुहूर्त में आप हनुमान चालीसा का पाठ और सुन्दरकाण्ड का जाप भी कर सकते है।
आरती कीजै हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की आरती के बोल हिंदी और अंग्रेजी में। हनुमान जयंती, मंगलवार, शनिवार और दीवाली हनुमान पूजा पर हनुमान जी की पूजा करने के लिए इस आरती का विशेष महत्व है।
आरती श्री हनुमानजी
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई। सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाए॥
लंका सो कोट समुद्र-सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज सवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि संजीवन प्राण उबारे॥
पैठि पाताल तोरि जम-कारे। अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरती गावे। बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥