रामायण एक अद्वितीय महाकाव्य है जिसकी रचना कवि वाल्मीकि ने की थी। इस के नायक प्रभु श्री राम थे जिनको भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। रामायण के कुल 7 अध्याय हैं और इसे बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है।
Dussehra Story in Hindi - रामायण में काफी दुर्दांत और भयावह असुरों को संहार मुख्य रूप से हुआ था जिसका विवरण इस प्रकार है
कुम्भकर्ण का वध
कुम्भकर्ण लंकेश रावण का अनुज था और विभीषण तथा शूर्पणखा का अग्रज था। कुम्भकर्ण एक बहुत ही पेटू किस्म का राक्षस था और उसका भोजन काफी बड़ी मात्रा में होता था जिसमे भैंसे, मदिरा के मटके, फल इत्यादि होते थे और जो कि काफी सारे लोगों के लिए पर्याप्त होता था! कुम्भकर्ण 6 महीने सोता था और 6 महीने जागता था। वानरों और असुरों के युद्ध में रावण ने अपने अर्दलियों को आदेश दिया कि कुम्भकर्ण को तुरंत निद्रा से उठाया जाय ताकि वह वानरों का विनाश कर सके। घनघोर प्रयासों के पश्चात कुम्भकर्ण उठा और अपने अग्रज रावण के आदेश पर वानर सेना को नष्ट करने लगा। उसके भीमकाय शरीर और अतुलनीय बल से कोई भी वानर जीत न सका यहाँ तक की परम बलशाली हनुमान जी भी नहीं। तब प्रभु श्री राम ने अपने बाणों से उसकी भुजाओं और मस्तक को विच्छेद कर दिया और इस तरह से एक बहुत ही विशालकाय और परमबलशाली राक्षस का अंत हुआ।
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मेघनाद का वध
मेघनाद कोई सामान्य योद्धा नहीं था, वह महापराक्रमी और महारथी राक्षस था। मेघनाद रावण का पुत्र था एवं उसे इंद्रजीत के नाम से भी जाना जाता था क्योंकि उसने इन्द्र देवता को एक बार बंदी बना लिया था। वानरों और असुरों के युद्ध में जब कुम्भकर्ण का वध हो गया तब तमतमाए हुए मेघनाद ने पलट वार करते हुए वानरों का संहार प्रारम्भ कर दिया और लक्ष्मण तक को मूर्छित कर दिया। इसके पश्चात ठीक होने पर लक्ष्मण ने मेघनाद का अपने बाणों से वध किया।
रावण का वध
रावण एक अत्यंत ही बुद्धिमान, भगवान शिव का उपासक, एक काबिल प्रशासक एवं वीणा वादक था। वह देवताओं पर शासन करना चाहता था और उसने सीता माता का अपहरण इसलिए किया था क्योंकि उसकी बहन शूर्पणखा की नाक लक्ष्मण ने काट दी थी। रावण के 10 सर थे इसलिए उसे दशानन भी कहा जाता था। वानरों और असुरों के युद्ध में एक एक कर के सारे राक्षस जब मारे गए तब अपने पुत्र मेघनाद के निधन के बाद रावण खुद रणभूमि में आया और युद्ध प्रारम्भ किया। भगवान राम जब भी उसका सर काटते तब उसका नया सर आजाता, तब विभीषण ने रावण की मृत्यु का रहस्य श्री राम को बताया। विभीषण के अनुसार भगवान श्रीराम ने रावण की नाभि को निशाना बनाकर दिव्य अस्त्र से उसका संहार किया और इस तरह से एक प्रकांड पंडित और महा ज्ञानी रावण का अंत हुआ। इस दिन को हम दशहरा या विजयादशमी के रूप में मानते हैं।
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