MATA KAALRATRI AARTI VRAT KATHA PUJA VIDHI
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The 7th day of Navratri is dedicated to Mata Kaalratri. She is referred to as the 7th Navratri Mata. Known for her terrifying form, Kaalratri Mata is called Maa Kaali or Maha Kaali. Worship Maa Kaalratri and bring an end to all the darkness and negativity. Recite Navratri 7th day Aarti or Maa Kalratri Aarti with utmost devotion. It is believed that one who sings Kaalratri Mata’s aarti and listens to Navratri Vrat Katha on the 7th day gets rid of all fears, evil spirits, and sorrows. Read Maa Kaalratri Aarti lyrics and Navratri 7th day Katha in Hindi and English.
कालरात्रि जय-जय महाकाली ।
काल के मुंह से बचानेवाली ।।
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतारा ।।
पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ।।
खड्ग खप्पर रखनेवाली ।
दुष्टों का लहू चखनेवाली ।।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नजारा ।।
सभी देवता सब नर-नारी ।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ।।
रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुख ना ।।
ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई गम ना संकट भारी ।।
उस पर कभी कष्ट ना आवे ।
महाकाली मां जिसे बचावे ।।
तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि मां तेरी जय ।।
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“एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥“
दुर्गा जी का सातवां स्वरूप कालरात्रि है। इनका रंग काला होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहते हैं। असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था। इनकी पूजा शुभ फलदायी होने के कारण इन्हें 'शुभंकारी' भी कहते हैं।
देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है इनके बाल बिखरे हुए हैं तथा इनके गले में विधुत की माला है। इनके चार हाथ है जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार तथा एक हाथ में लोहे का कांटा धारण किया हुआ है। इसके अलावा इनके दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में है। इनके तीन नेत्र है तथा इनके श्वास से अग्नि निकलती है। कालरात्रि का वाहन गर्दभ(गधा) है।
इस देवी के तीन नेत्र हैं। ये तीनों ही नेत्र ब्रह्मांड के समान गोल हैं। इनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है। ये गर्दभ की सवारी करती हैं। ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। दाहिनी हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है. दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है जो भक्तों को हमेशा निडर, निर्भय रहने का वरदान देता है.
कथा के अनुसार दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था। इससे चिंतित होकर सभी देवतागण शिव जी के पास गए। शिव जी ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा।
शिव जी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया तथा शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया। परंतु जैसे ही दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए। इसे देख दुर्गा जी ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद जब दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को कालरात्रि ने अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया.
नवरात्रि के सप्तम दिन इनकी पूजा और अर्चना की जाती है। इस दिन साधक को अपना चित्त भानु चक्र (मध्य ललाट) में स्थिर कर साधना करनी चाहिए। भक्तों द्वारा इनकी पूजा के उपरांत उसके सभी दु:ख, संताप भगवती हर लेती है। दुश्मनों का नाश करती है तथा मनोवांछित फल प्रदान कर उपासक को संतुष्ट करती हैं।
साफ और स्वच्छ कपड़े पहन कर कलश पूजा करनी चाहिए। इसके बाद सभी देवताओं की पूजा के बाद माँ कालरात्रि की पूजा भी करनी चाहिए। लाल चम्पा के फूलों से माँ प्रसन्न होती हैं। दूध , खीर या अन्य मीठे प्रसाद का भोग लगाना चाहिए। लाल चन्दन , केसर , कुमकुम आदि से माँ को तिलक लगाएँ। अक्षत चढ़ाएं और माँ के सामने सुगंधित धूप और अगरबत्ती आदि भी लगाएँ।
तंत्र साधना के लिए नवरात्रि के सातवे दिन का विशेष महत्व होता है। कई तांत्रिक और साधक इस दिन का खास इंतज़ार करते हैं। दानव , दैत्य , राक्षस , भूत , प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। कालरात्रि ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं अतः इनके उपासकों को अग्नि-भय , जल-भय , जंतु-भय , शत्रु-भय , रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है। इस दिन माँ के पूजन से भूत प्रेत बाधा आदि भय मन से दूर होते हैं।
दरिद्रता को दूर करने के लिए इस दिन गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाकर प्रसाद वितरण करना चाहिए।
Said to be the fiercest manifestation of Goddess Durga, Maa Kaalratri is worshipped on the seventh day of Navratri. Believed to be the destroyer of demons and one who bestows her devotees with auspicious results, she is also known as Shubhankari.
With a fearless demeanor, complexion dark like the night, three lightening-like bright eyes, and disheveled hair, Maa Kaalratri exhales flames from her mouth.
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As per Kaalratri Mata’s Katha, demigods sought the intervention of Lord Shiva due to the troubles of the demons Shumbha and Nishumbha. Together, they prayed to Goddess Parvati who created Chandi to kill the demons. The demons sent Chanda and Munda, who were vanquished and killed by Mata Kaalratri, created by Goddess Chandi.
Thereafter, Maa Kaalratri battled the demon Raktabeeja who had a boon that each drop of his spilled blood will create another demon. The goddess drank the blood of the demon as she slew him, to defeat him completely.
Ruler of the Planet Shani, Mata Kaalratri is considered to be the seventh form of Goddess Durga. She rides a donkey and is considered to be the destroyer of ignorance and darkness. Maa Kaalratri is also believed to be the owner and granter for siddhis, she is worshipped for siddhis, knowledge, power and wealth.
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ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥
Om Devi Kalaratryai Namah?
After bathing and wearing clean, fresh clothes, devotees must do kalash puja to please Kaalratri Mata, 7th Devi of Navratri. Thereafter, one must invoke all gods and goddesses and then worship Maa Kalratri. This is followed by worship of Lord Shiva and Lord Brahma.
The goddess is pleased with red Champa flowers. One should offer milk, kheer, and sweets to Maa Kaalratri. Apply red sandal, saffron, or kumkum as tilak on the idol of Kalratri Mata and burn incense or dhoop.
Sadhaks and Tantriks await the seventh day of Navratri as it also holds significance for Tantra Sadhna. Chanting the name of Kaalratri Mata invokes fear amidst evil powers. Maa Kalratri removes planetary obstacles and rids devotees of the fear of fire, water, animals, enemy, and night.
To allay poverty, sweets made of jaggery should be distributed after Navratri 7th day aarti and katha.
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