MATA MAHAGAURI AARTI VRAT KATHA PUJA VIDHI
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Mahagauri Mata is worshipped on the 8th day of Navratri. She is the Goddess of compassion, purity, and tranquility. It is believed that those who sing Mata Mahagauri’s aarti and listen to Navratri 8th day Navratri Katha attain all their desires. In this post, you may find Mata Mahagauri aarti’s lyrics and Katha to appease Devi in a complete manner.
जय महागौरी जगत की माया ।
जया उमा भवानी जय महामाया ।।
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहां निवासा ।।
चंद्रकली ओर ममता अंबे ।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे ।।
भीमा देवी विमला माता ।
कौशिकी देवी जग विख्याता ।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा ।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया ।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया ।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया ।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया ।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता ।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो ।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो ।।
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The below Mantra is recited during Navratri 8th day aarti and Puja.
श्वेते वृषे समारूढा,श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यात्, महादेवप्रमोददाद।।
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम
श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। इनका वर्ण पूर्णतः गौर है, इसलिए ये महागौरी कहलाती हैं। नवरात्रि के अष्टम दिन इनका पूजन किया जाता है। इनकी उपासना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। माँ महागौरीकी आराधना से किसी प्रकार के रूप और मनोवांछित फल प्राप्त किया जा सकता है। महागौरी की चार भुजाएं हैं उनकी दायीं भुजा अभय मुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में त्रिशूल शोभता है। बायीं भुजा में डमरू डम डम बज रही है और नीचे वाली भुजा से देवी गौरी भक्तों की प्रार्थना सुनकर वरदान देती हैं।
देवी पार्वती रूप में इन्होंने भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी, एक बार भगवान भोलेनाथ जी, पार्वती जी को देखकर कुछ कह देते हैं। जिससे देवी के मन आहत होता है और पार्वती जी तपस्या में लीन हो जाती हैं। इस प्रकार वषों तक कठोर तपस्या करने पर जब पार्वती नहीं आती तो पार्वती को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुँचते हैं वहां पहुंचे तो वहां पार्वती को देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं। पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के सामन श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौरवर्ण का वरदान देते हैं।
एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा। महागौरी जी से संबंधित एक अन्य कथा भी प्रचलित है इसके जिसके अनुसार, एक सिंह काफी भूखा था, वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रही होती हैं। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गयी परंतु वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो । देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आती है, और माँ उसे अपना सवारी बना लेती हैं क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही है।
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शुभ रंग : गुलाबी
Mahagauri Mata, believed to be the ruler of the planet Rahu, is called so because of her extremely fair complexion (‘maha' being great and ‘gaur’ being white). She is the eighth manifestation of Goddess Durga and is worshipped on the eighth day of Navratri. Mata Mahagauri is depicted in all white clothes.
As per Navratri 8th day Katha, Goddess Parvati devoted herself to the intense worship of Lord Shiva. The austerity caused her skin to turn extremely dark. Lord Shiva, pleased with the devotion, accepted the goddess and got rid of her dark skin with the holy water of Ganga. After that, the goddess got a bright moon-like complexion and came to be known as Mahagauri or Mata Gauri.
It is said that devotees who worship the Mahagauri Mata find fulfillment of their desires and are absolved of their sins, along with finding an end to all their sufferings. Peaceful, intelligent, and calm, Mata Mahagauri rides a bull, dressed in a white or green saree.
Maa Mahagauri has four arms, with a trident in the right arm and the lower right arm gesturing to bless her worshippers. She holds a pellet drum in the lower left arm and the other left arm is in the gesture of allaying fear.
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ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
Om Devi Mahagauri yai Namaha॥
The eighth day of Navratri holds special significance for Kanya pujan, or the worshipping of girls in addition to the worship of Maa Mahagauri.
After purifying with Ganga Jal, the idol or image of Goddess Mahagauri should be set on a wooden stand. On the same stand, also place (sthapana) idols or images of Shri Ganesh, Varun, Navgrah, shodash matruka (16 devis), and sapt grut matruka (seven kinds of sindoor). Thereafter, one must do kalash sthapana by placing a coconut on a silver, copper or earthen pot filled with water.
After completing sthapana of the idols and the Kalash, one must resolve to complete the fast. For the same, do a Sankalp for vrat, poojan and do shodhopchar puja of all the placed (sthapit) gods along with Maa Mahagauri. The shodhopchar puja includes avahan, aasan, padya, ardhya, aachman, snan, cloth, saubhagya sootr, sandal, roli, haldi, sindoor, durva, bilvpatr, ornaments, flower garland, perfume, dhoop-deep, naivadya, fruits, betel leaf, dakshina, aarti, pradikshna, mantra pushpanjali, etc. Offer coconut to the Mahagauri Mata and then give it away as alms. Maa Mahagauri blesses beauty. To appease Maa Mahagauri, hold white flowers in your palm as you practice meditation (dhyan).
The worship of young girls, or kanya poojan, is considered very auspicious on the eighth day of Navratri. Worship girls should be aged between 2 and 10 years. Ideally, the devotee should worship 9 young girls but worshipping two girls will also serve the purpose. After the girls have had their meals, present them with gifts.
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