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18 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी और इसी के साथ ही हिन्दू नव वर्ष का आरंभ हो जाता है। चैत्र का महीना हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से साल का पहला महीना होता है। शास्त्रों के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन आदि शक्ति प्रकट हुई थीं और उनके कहने पर ही ब्रह्राजी ने सृष्टि के निर्माण का काम करना शुरू किया था।

यही वजह है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है। 18 मार्च 2018 से विक्रम संवत् 2075 आरंभ होगा।

भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक महत्व :

वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।  

फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।

नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।

1. यह दिन सृष्टि रचना का पहला दिन है।

2. विक्रमी संवत का पहला दिन: उसी राजा के नाम पर संवत् प्रारंभ होता था जिसके राज्य में न कोई चोर हो, न अपराधी हो, और न ही कोई भिखारी हो। साथ ही राजा चक्रवर्ती सम्राट भी हो। सम्राट विक्रमादित्य ने 2067 वर्ष पहले इसी दिन राज्य स्थापित किया था।

3. प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक दिवस : प्रभु राम ने भी इसी दिन को लंका विजय के बाद अयोध्या में राज्याभिषेक के लिये चुना।

4. नवरात्रि स्थापना : शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात्, नवरात्रि स्थापना का पहला दिन यही है। प्रभु राम के जन्मदिन रामनवमी से पूर्व नौ दिन उत्सव मनाने का प्रथम दिन।

5. गुरू अंगददेव प्रगटोत्सव : सिख परंपरा के द्वितीय गुरू का जन्म दिवस।

6. समाज को श्रेष्ठ (आर्य) मार्ग पर ले जाने हेतु स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन को आर्य समाज स्थापना दिवस के रूप में चुना।

7. संत झूलेलाल जन्म दिवस : सिंध प्रांत के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रकट हुए।

8. शालिवाहन संवत्सर का प्रारंभ दिवस : विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।

9. युगाब्द संवत्सर का प्रथम दिन : युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।

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विक्रम संवत् का सम्बन्ध किसी भी धर्म से न होकर सारे विश्व की प्रकृति, खगोल सिद्धांत व ब्रह्माण्ड के ग्रहो व नक्षत्रो से है ।

इसलिए भारतीय काल गणना पंथ निरपेक्ष होने के साथ सृष्टि की रचना व राष्ट्र की गौरवशाली परम्पराओं को दर्शाती है ।

इतना ही नहीं, ब्रह्माण्ड के सबसे पुरातन ग्रंथ वेदो में भी इसका वर्णन है ।

नव संवत् यानि संवत्सरो का वर्णन यजूर्वेद के 27 वें व 30 वें अध्याय ले मंत्र क्रमांक क्रमश 45 व 15 में विस्तार से दिया गया है । विश्व को सौर मंडल के ग्रहों व नक्षत्रो की चाल व निरंतर बदलती उनकी स्थिति पर ही हमारे दिन, महीने, साल और उनके सूक्ष्मतम भाग पर आधारित है ।


2024, Shardiya Navratri Calendar For All Nine Days

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8th October, 2021


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9th October, 2021


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