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x2021 मोक्षदा एकादशी
जन्म कुंडली
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मोक्षदा एकादशी-अनुष्ठान और महत्व
मोक्षदा एकादशी का त्यौहार मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन (एकादशी) मनाया जाता है। जो भक्त मोक्षदा एकादशी के उपवास का पालन करते हैं, वह मोक्ष प्राप्त करते हैं, तथा जन्म-मरण के निरंतर चक्र से मुक्ति पा जाते हैं। यह उपवास भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में मनाया जाता है। इसे ‘मौना एकादशी’ के रूप में भी जाना जाता है जिसमें भक्त पूरे दिन ‘मौन’ (चुप) रहते हैं। उड़ीसा और दक्षिण भारत के राज्यों में, इस दिन को ‘बैकुण्ठ एकादशी’ भी कहा जाता है।
मोक्ष एकादशी के अनुष्ठान क्या हैं?
- मोक्ष एकादशी के दिन, भक्त सुबह जल्दी उठते हैं और सूर्योदय से पहले पवित्र स्नान करते हैं।
- वे इस दिन के लिए उपवास करते हैं क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है। इस उपवास के दौरान किसी भी तरह के खाने-पीने का सेवन नहीं करना चाहिए। उपवास 24 घंटे की अवधि के लिए रखा जाता है
- जो एकादशी के सूर्योदय से शुरू होकर द्वादशी के सूर्योदय तक होता है।
- उपवास के दौरान, भक्त शाकाहारी भोजन, फल, डेयरी उत्पाद और दूध का उपभोग कर सकते हैं। इस तरह का उपवास गर्भवती महिलाओं द्वारा भी किया जा सकता है।
- भक्तों के लिए मोक्षदा एकादशी की पूर्व संध्या पर लहसुन, प्याज, दालें, अनाज और चावल का उपभोग करना निषिद्ध है।
- भगवान विष्णु के भक्त बेल पेड़ की पत्तियों का उपभोग भी करते हैं।
- भगवान का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्त भगवान विष्णु की पूर्ण भक्ति के साथ प्रार्थना और पूजा करते हैं।
- इस विशेष दिन, कुछ लोग भगवत गीता की पूजा करते हैं और कई मंदिरों में धर्मउपदेश भी पढ़ते हैं।
- पर्यवेक्षक भगवान श्रीकृष्ण की प्रार्थना और पूजा भी करते हैं। शाम को, भक्त उत्सवों को देखने के लिए भगवान विष्णु के मंदिर भी जाते हैं।
- मोक्षदा एकादशी के दिन पर मुकुंदष्टकम, विष्णु सहस्रनामम और भगवत गीता को पढ़ना बहुत शुभ माना जाता है।
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मोक्षदा एकादशी का महत्व क्या है?
हिंदू पौराणिक कथाओं और शास्त्रों के मुताबिक, ऐसा माना जाता है कि जो भक्त मोक्षदा एकादशी के व्रत का पालन करते हैं वे मोक्ष प्राप्त करते हैं और पितृ दोष से मुक्त हो जाते हैं। एकादशी के दिन उपवास का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पर्यवेक्षकों को उनके पिछले पापों से छुटकारा पाने में मदद करता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, भक्त जो मोक्षदा एकादशी का उपवास करते हैं, वे हिंदू वर्ष में होने वाले अन्य सभी एकादशी व्रतों का संयुक्त लाभ प्राप्त करते हैं।
मोक्षदा एकादशी की किंवदंती (कथा/कहानी) क्या है?
मोक्षदा एकादशी भगवान विष्णु की पूजा और प्रार्थना करने के लिए सबसे शुभ और महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। इस विशेष दिन, भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद् गीता राजा अर्जुन को सुनाई थी जबकि वह कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में थे। यही कारण है कि इस दिन को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
एकादशी व्रत के दिन
मोक्षदा एकादशी के अलावा, एक साल में 23 एकादशी व्रत आते हैं जो हिंदू कैलेंडर के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में आते हैं। इन सभी एकादशी तिथि हिंदू परंपराओं में बहुत महत्वपूर्ण हैं और विभिन्न एकादशी नाम के साथ लोकप्रिय हैं। यहां वर्ष भर मनाई जाने वाली एकादशी व्रत की सूची है।
क्र.सं. |
हिंदू महीना |
पक्ष |
एकादशी व्रत |
1 |
चैत्र |
कृष्ण पक्ष |
|
2 |
चैत्र |
शुक्ल पक्ष |
|
3 |
वैशाख |
कृष्ण पक्ष |
|
4 |
वैशाख |
शुक्ल पक्ष |
|
5 |
ज्येष्ठ |
कृष्ण पक्ष |
|
6 |
ज्येष्ठ |
शुक्ल पक्ष |
|
7 |
आषाढ़ |
कृष्ण पक्ष |
|
8 |
आषाढ़ |
शुक्ल पक्ष |
|
9 |
श्रावण |
कृष्ण पक्ष |
|
10 |
श्रावण |
शुक्ल पक्ष |
|
11 |
भाद्रपद |
कृष्ण पक्ष |
|
12 |
भाद्रपद |
शुक्ल पक्ष |
|
13 |
अश्विन |
कृष्ण पक्ष |
|
14 |
अश्विन |
शुक्ल पक्ष |
|
15 |
कार्तिक |
कृष्ण पक्ष |
|
16 |
कार्तिक |
शुक्ल पक्ष |
|
17 |
मार्गशीर्ष |
कृष्ण पक्ष |
|
18 |
मार्गशीर्ष |
शुक्ल पक्ष |
मोक्षदा एकादशी |
19 |
पौष |
कृष्ण पक्ष |
|
20 |
पौष |
शुक्ल पक्ष |
|
21 |
माघ |
कृष्ण पक्ष |
|
22 |
माघ |
शुक्ल पक्ष |
|
23 |
फाल्गुन |
कृष्ण पक्ष |
|
24 |
फाल्गुन |
शुक्ल पक्ष |