Shri Krishan Aarti
पूजा के लिए कृष्ण जी की आरती। आरती कुंज बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी आरती गीत। आरती कुंज बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी गीत हिंदी और अंग्रेजी में - Aarti Kunj Bihari Ki Shri Girdhar Krishna Murari Ki aarti lyrics in Hindi and English। भगवान कृष्ण हिंदू धर्म के प्रमुख और सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान कृष्ण की पूजा बाधाओं को समाप्त कर सकती है और भगवान कृष्ण के आशीर्वाद से हमारे जीवन में सफलता, खुशी और समृद्धि आती है। सुबह और शाम की पूजा में भगवान कृष्ण जी की आरती गाने से मन प्रसन्न रहता है। भगवान कृष्ण आपकी सभी इच्छाओं को पूरा करते है और दुखों को दूर करते है। “आरती कुंज बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी” आरती कृष्ण जी की सबसे लोकप्रिय आरती है जिसे भक्तों द्वारा भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गायी जाता है। आध्यात्मिक ज्ञान वृद्धि और अलौकिक शक्तियो का आह्वान करने के लिए भक्त भगवान कृष्ण की पूजा और अनुष्ठान में शक्तिशाली कृष्ण मंत्रों का जाप करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जन्माष्टमी और गोवर्धन से जुड़े विशेष उत्सवों में आरती कुंज बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी आरती गाने वाले भक्तो से भगवान कृष्ण बहुत प्रसन्न होते है। भगवान कृष्ण की पूजा आरती में कृष्ण जी के मंत्रों का जाप करने से आध्यात्मिक शक्ति का आभास होता है। कृष्ण जी की प्रसन्न करने के लिए शुभ मुहूर्त में आप कृष्ण चालीसा का पाठ और कृष्ण जी के मंत्रों का जाप भी कर सकते है।
आरती कुंज बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी आरती के बोल हिंदी और अंग्रेजी में। बुधवार और जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा करने के लिए इस आरती का विशेष महत्व है।
आरती कुंजबिहारी की
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी कीगले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ x2
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ x2
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ x2
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन भिखारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ x2
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥