नवरात्रि, माँ दुर्गा की पूजा साल में दो बार 9 दिनों तक होती है - चैत्र और शारदीय नवरात्रि जो हिंदू धर्म में प्रमुख स्थान रखते हैं।
हालाँकि, भगवद पुराण के अनुसार, नवरात्रि एक वर्ष में 4 बार मनाई जाती है। शारदीय और चैत्र नवरात्रि के अलावा, अन्य दो (अश्विन और वसंत) गुप्त नवरात्रि हैं। माघ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली माघ गुप्त नवरात्रि और दूसरी आषाढ़ मास में आषाढ़ नवरात्रि होती है।
माघ गुप्त नवरात्रि की विचारधारा
माघ गुप्त को गायत्री ‘शिशिर नवरात्रि’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह जनवरी और फरवरी के सर्दियों के दिनों मंे आती है।
इसे ‘गुप्त’ के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है ‘गोपनीय’ क्योंकि यह गुप्त रूप से पूजी जाती है और यहां तक कि यह नवरात्रि अधिकतर लोगों को मालूम नहीं है। यह नवरात्रि साधकों व सतकर्म के लिए शक्तिशाली और विशेष तांत्रिक अनुष्ठान करने वालों के लिए है।
साधक वे होते हैं जो ध्यान लगाते हैं, और तांत्रिक वह जो अनुष्ठान करते हैं। वे नौ दिनों तक देवी शक्ति की पूजा करते हैं। उपवास और पूजा से संबंधित नियमों का श्रद्धालु कड़ाई से पालन करते है।
देवी शक्ति | आध्यात्मिक परिवर्तन |
देवी काली | तांत्रिक अपनी तंत्र साधना के लिए कालि माॅ की पूजा करते हैं। |
माँ तारा | यह देवी सत्तावादी है और सभी लोगों को मुक्ति पाने का रास्ता बताती है । |
देवी ललिता | भक्त मोक्ष प्राप्त करते हैं। देवी ललिता को चंडी का स्थान दिया गया है। |
माँ भुवनेश्वरी | यह दुनिया की निर्माता और मालिक है। इनके मंत्रों का पाठ करने से देवताओं को विशेष शक्तियां मिलती हैं। |
भैरवी | यह तमोगुण और रजोगुण से परिपूर्ण हैं। |
माँ छिन्नमस्तिका | वह माता चिंतपूर्णी हैं जो अपने भक्तों को सभी तनावों से मुक्त करती हैं। |
देवी धूमवती | यह डरावनी है जो दुश्मनों को नष्ट कर देती है और पूजा करने वाले की इच्छाओं को पूरा करती है। |
देवी बगलामुखी | यह दमन की स्वामिनी हैं। इनके भक्त सभी बाधायों से मुक्त हो जातें है। |
माँ मातंगी |
मातंगी देवी ब्रह्मांड की शक्ति रखती हैं और आवाज और ध्वनि की स्वामिनी हैं। |
देवी लक्ष्मी | माँ कमला धन और सुख की देवी हैं। वह अपने भक्तों को भौतिक सुख सुविधा प्रदान करती है। |
शिशिर नवरात्रि मुख्य रूप से भारत के उत्तरी भागों में विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मनाई जाती है।
माघ गुप्त नवरात्रि शुभ मुहूर्त - वर्ष 2022
माघ गुप्त नवरात्रि की तिथियां और समय नीचे दी गई तालिका में दर्शाया गया है। यह 2 फरवरी 2022 से शुरू होगा और 10 फरवरी 2022 को समाप्त होगा।
विवरण | शुरुआत का समय | अंतिम समय |
सूर्योदय | 2 फरवरी , 2022 - बुधवार, सुबह 7:13 बजे। | |
सूर्यास्त | 2 फरवरी , 2022 - बुधवार, शाम 5:58 बजे | |
प्रतिपदा तिथि | 1 फरवरी , 2022 - मंगलवार, सुबह 11:17 बजे। | 2 फरवरी, 2022 - बुधवार, सुबह 8:32 बजे। |
घटस्थापना मुहूर्त | 2 फरवरी , 2022 - बुधवार, सुबह 9:48 बजे। | 2 फरवरी, 2022 - बुधवार, सुबह 8:30 बजे। |
अभिजीत मुहूर्त समय | बुधवार का अभिजीत मुहूर्त मान्य नहीं होता है। |
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माघ गुप्त नवरात्रि का महत्व
- शक्ति की देवी को समृद्धि, धन, ज्ञान (पवित्र और धर्मनिरपेक्ष) और सभी सकारात्मक ऊर्जाओं को सर्वश्रेष्ठ करने के लिए शिशिर नवरात्रि मनायी जाती है।
- देवी दुर्गा संकट को कम करती हैं और उनके भक्त दयालुता पाने के लिए उनकी उपासना करते हैं। शक्ति माँ की यह अनुष्ठानिक पूजा दुर्गा सप्तशती के पाठ के साथ प्रतिदिन की जाती है।
- सच्चे आध्यात्मिक भक्त देवी का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लगातार 9 दिनों तक या 3-3 दिनों की अवधि में केवल सात्विक भोजन, मुख्य रूप से फल और दूध लेकर उपवास रखते हैं।
माघ गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान
- माघ गुप्त नवरात्रि के दौरान, भक्त सुबह उठकर स्नान करते हैं। सुबह के नित्यक्रम से निवृति के बाद, वे पूजा स्थल की सफाई और सजावट करते हैं और पूजा की तैयारियाँ शुरू करते हैं।
- माँ दुर्गा की एक मूर्ति को लाल कपड़े पर रख कर घटस्थापना की जाती है और उन्हें रंग-बिरंगे फूल, चावल, धूप, चुनरी, बिंदी, चूड़ियाँ और अगरबत्ती चढ़ाई जाती है। यह अनुष्ठान 9 दिनों तक प्रतिपदा से लेकर नवमी तक चलता है जो नीचे दिए गए हैंः
दिन | दिन मनाना | पूजा |
1 | प्रतिप्रदा | घटस्थापना एवं शैलपुत्री पूजा |
2 | द्धितिया |
ब्रह्नचारिणी पूजा |
3 | तृतीया | चन्द्रघंटा पूजा |
4 | चतुर्थी | कुष्मांडा पूजा |
5 | पंचमी | स्कन्दमाता पूजा |
6 |
षष्ठी | कात्यानी पूजा |
7 | सप्तम | कालरात्रि पूजा |
8 |
अष्टम | महागौरी पूजा और संधि पूजा |
9 | नवमी |
सिद्धीदात्री पूजा |
10 | दसवीं | नवरात्रि पारण |
- श्रद्धालु कठोर उपवास का पालना करते हैं, वे केवल पूजा अनुष्ठान समाप्त करने और ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद भोजन करते है। कुछ लोग व्रत मे केवल फल और दूध ही लेते हैं।
- भक्त इस नवरात्रि के दौरान दुर्गा मंत्र का 108 बार जाप करते हैं।
माघ गुप्त नवरात्रि पूजा का विधि-विधान
जौ के साथ उगाए गए कलश को शुभ मुहूर्त में देवी शक्ति की मूर्ति के सामने रखा जाता है। कच्चे नारियल के साथ एक और कलश उसके ऊपर रखा जाता है और उसकी स्थापना होती है।
देवी भगवती के सामने अखंड ज्योत प्रज्वलित की जाती है और गणेश पूजा से शुरुआत की जाती है। फिर वरुण देव और विष्णु देवता की पूजा की जाती है। उसके बाद, शिव, सूर्य, चंद्रमा और सभी नौ ग्रहों की पूजा की जाती है और फिर देवी भगवती की पूजा की जाती है।
इस नवरात्रि के दौरान, देवी पथ और दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है।
सूचना - आगामी वर्षों के लिए माघ गुप्त नवरात्रि का कैलेंडर
साल | तिथियां और दिन |
2021 | 12 फरवरी, शुक्रवार |
2022 | 2 फरवरी, बुधवार |
2023 | 22 जनवरी, रविवार |
2024 | 10 फरवरी, शनिवार |
2025 | 30 जनवरी, गुरुवार |
निष्कर्ष
जब लोग शुद्ध मन से देवी दुर्गा से प्रार्थना करते हैं, तो उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। माघ गुप्त नवरात्रि फल प्रदान करती है और देवी अपने भक्तों को अपने अनुष्ठानों का आस्था के साथ पालन करने पर अपना दिव्य आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
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