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2024 अषाढ़ा पूर्णिमा

date  2024
Chapra, Bihar, India

अषाढ़ा पूर्णिमा
Panchang for अषाढ़ा पूर्णिमा
Choghadiya Muhurat on अषाढ़ा पूर्णिमा

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आषाढ़ पूर्णिमा क्या है?

पूर्णिमा का दिन या पूनम जो हिन्दू महीने आषाढ़ में होती है, उसे आषाढ़ पूर्णिमा (Ashadha Purnima) के नाम से जाना जाता है। इस शुभ अवसर पर, लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और गोपदम व्रत का पालन करते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है, जब लोग अपने शिक्षकों या गुरुओं का आशीर्वाद लेते हैं।

आषाढ़ पूर्णिमा का महत्व

लूनिसोलर(चन्द्र) कैलेंडर या पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह का नाम पूर्णिमा तिथि पर उस नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है जिसमें चंद्रमा स्थित है। ऐसा माना जाता है कि आषाढ़ माह में, पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा या उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आता है। यदि आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को, चंद्रमा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आता है, तो पूर्णिमा को समृद्धि और प्रचुरता प्राप्त करने के लिए बहुत ही शुभ और भाग्यशाली माना जाता है।

इसके अलावा, आषाढ़ पूर्णिमा पर, लोग गोपदम् व्रत का पालन करते हैं और भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं। कहा जाता है कि गोपदम् व्रत बहुत फलदायी होता है और व्रत करने वाले को सभी तरह का आशीर्वाद और प्रसन्नता प्रदान करता है।

जिस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, उस दिन का हिन्दू और बौद्ध संस्कृति में बहुत महत्व है। इस दिन, लोग अपने गुरु का आशीर्वाद लेते हैं और उनकी शिक्षाओं को प्राप्त करना चाहते हैं।

आषाढ़ पूर्णिमा से जुड़ी कथा और इसका इतिहास

हिंदू ग्रंथों के अनुसार, महाभारत के सबसे महान ऋषि और लेखक, महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास या जिन्हें वेद व्यास के रूप में जाना जाता है, का जन्म आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसीलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। बौद्ध संस्कृति में, यह माना जाता है कि लगभग 2500 साल पहले इसी दिन भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपने पहले उपदेश का प्रचार किया था।

आषाढ़ पूर्णिमा पर गोपदम् व्रत करने का अनुष्ठान

हिंदू ग्रंथों के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा गोपदम् व्रत का पालन करने के विशेष अनुष्ठान होते हैं। यहां वे अनुष्ठान बताए गए हैं जो किए जाने चाहिए।

  • सुबह जल्दी उठकर, स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • पूरे दिन भगवान विष्णु की पूजा करें या उनके नाम का पाठ करें। अधिक लाभ के लिए सत्यनारायण कथा पढ़ या सुन भी सकते हैं।
  • ध्यान (मेडिटेशन) के दौरान, गरुड़ पर विराजमान चतुर्भुज भगवान विष्णु के साथ उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी का ध्यान करें।
  • मिट्टी के दीपक या दीये, इत्र, फूल और धूप भगवान विष्णु को अर्पित करना चाहिए।
  • भगवान विष्णु की प्रार्थना करने के बाद, भक्तों को ब्राह्मणों या जरूरतमंद लोगों को भोजन कराना चाहिए। और अपनी सुविधा के अनुसार धर्मार्थ कार्य भी करना चाहिए।
  • भक्तों को पीले कपड़े पहनने चाहिए और दान स्वरूप अनाज और मिठाई वितरित करनी चाहिए।
  • कहा जाता है कि आषाढ़ पूर्णिमा की सुबह पीपल के पेड़ के नीचे देवी लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में धन और समृद्धि प्राप्त हो सकती है।
  • गोपदम् व्रत का पालन करने वाले को गायों की पूजा करनी चाहिए और उन्हें भोजन कराना चाहिए। उन्हें गाय के सिर पर तिलक लगाना चाहिए और उसका आशीर्वाद लेना चाहिए।

आषाढ़ पूर्णिमा पर पूजा और गोपदम् व्रत का लाभ

  • ऐसा माना जाता है कि यदि आप सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ गोपदम् व्रत रखते हैं और सभी अनुष्ठानों का सही ढंग से पालन करते हैं तो आप भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और सभी सांसारिक सुखों को प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही, गोपदम् व्रत का पालन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के अंत में उन्हें मोक्ष का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • उत्तराषाढ़ा या पूर्वाषाढ़ा के अंतर्गत जन्म लेने वाले लोगों को आषाढ़ पूर्णिमा पर दान या ध्यान (मेडिटेशन) करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें अपने जीवन के हर पहलू में आध्यात्मिक लाभ और समाधान हासिल करने में मदद मिल सकती है।
  • आषाढ़ पूर्णिमा के दिन सरस्वती पूजा करने से छात्रों और उन लोगों को बहुत लाभ और फल प्राप्त हो सकते हैं जो कोई कौशल सीख रहे हैं।

पुरे वर्ष भर में पड़ने वाले पूर्णिमा व्रत

हिन्दू कैलेंडर जो की चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) से प्रारम्भ होता है के अनुसार वर्षभर में पड़ने वाली पूर्णिमा निम्नानुसार है:-

क्र. सं. हिंदू महीना पूर्णिमा व्रत नाम अन्य नाम या उसी दिन के त्यौहार
1 चैत्र चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयंती
2 वैशाख वैशाख पूर्णिमा बुद्ध पूर्णिमा, कूर्म जयंती
3 ज्येष्ठ ज्येष्ठ पूर्णिमा वट पूर्णिमा व्रत
4 आषाढ़ आषाढ़ पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजा
5 श्रावण श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन, गायत्री जयंती
6 भाद्रपद भाद्रपद पूर्णिमा पूर्णिमा श्राद्ध, पितृपक्ष आरंभ
7 अश्विन आश्विन पूर्णिमा शरद पूर्णिमा, कोजागरा पूजा
8 कार्तिक कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली
9 मार्गशीर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा दत्तात्रेय जयंती
10 पौष पौष पूर्णिमा शाकंभरी पूर्णिमा
11 माघ माघ पूर्णिमा गुरु रविदास जयंती
12 फाल्गुन फाल्गुन पूर्णिमा होलिका दहन, वसंत पूर्णिमा

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