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x2021 पौष पूर्णिमा
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पौष पूर्णिमा- महत्व और अनुपालन
पौष पूर्णिमा क्या है?
पौष पूर्णिमा हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र और शुभ दिनों में से एक है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष माह की पूर्णिमा के दिन होती है। इस दिन बड़ी संख्या में लोग पवित्र नदी गंगा और यमुना में स्नान करते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह दिन जनवरी या दिसंबर के महीने में आता है। देश भर के लोग पौष पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर प्रयाग संगम में स्नान करने के लिए एकत्रित होते हैं। पौष पूर्णिमा व्रत और स्नान अनुष्ठानों का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है क्योंकि इससे लोग अपने अतीत और वर्तमान के पापों से छुटकारा पा लेते हैं और मोक्ष प्राप्त करने के मार्ग की ओर आगे बढ़ते हैं। प्रयाग, उज्जैन और नासिक के अलावा भी अन्य प्रसिद्ध तीर्थ स्थान हैं जहां भक्त पौष पूर्णिमा पर पवित्र स्नान करते हैं।
पौष पूर्णिमा को शाकम्भरी पूर्णिमा व्रत के रूप में भी मनाया जाता है।
पौष पूर्णिमा के अनुष्ठान
- पौष पूर्णिमा के दिन किया जाने वाला पहला और सबसे महत्वपूर्ण कार्य सुबह जल्दी उठना और सूर्योदय के समय पवित्र नदी में स्नान करना है। भगवान सूर्य को ‘अर्घ्य’ देने की धार्मिक प्रथा एक अनुष्ठान के रूप में निभाई जाती है।
- स्नान करने के बाद, श्रद्धालुओं को ‘शिव लिंगम’ की पूजा और प्रार्थना करनी चाहिए।
- भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और ‘सत्यनारायण व्रत’ रखते हैं। उन्हें ‘सत्यनारायण कथा’ का पाठ करना और पवित्र भोजन बनाना आवश्यक होता है, जो भगवान को चढ़ाया जाता है।
- अनुष्ठानों का समापन करने के लिए, आरती की जाती है और आमंत्रित लोगों को प्रसाद (पवित्र भोजन) वितरित किया जाता है।
- इस दिन भागवत गीता और रामायण का पाठ करना भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है।
- संपूर्ण भारत में, भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के विभिन्न मंदिरों में ‘पुष्य अभिषेक यात्रा’ की जाती है।
- लोग पौष पूर्णिमा के इस विशेष दिन पर कई तरह का दान और परोपकारी कार्य करते हैं, जिसमें भोजन, कपड़े, पैसे और अन्य आवश्यक चीजें जरूरतमंद लोगों को ‘अन्न दान’ के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में प्रदान की जाती हैं।
पौष पूर्णिमा व्रत विधि
- इस दिन, लोग पवित्र नदियों के तट पर सुबह-सुबह पवित्र स्नान करते हैं।
- इसके बाद, वे खाने और पीने के पानी का सेवन किए बगैर पौष पूर्णिमा व्रत का पालन करते हैं।
- इसके बाद मंदिरों में या अपने घरों/कार्यस्थल पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
- विष्णु पूजा पूरी होने के बाद, भक्त सत्यनारायण कथा का पाठ करते हैं।
- इसके बाद वे लगातार ‘गायत्री मंत्र’ या व ‘ओम नमो नारायण’ मंत्र का 108 बार जाप किया जाता है।
- फिर जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े देते हैं।
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पुरे वर्ष भर में पड़ने वाले पूर्णिमा व्रत
हिन्दू कैलेंडर जो की चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) से प्रारम्भ होता है के अनुसार वर्षभर में पड़ने वाली पूर्णिमा निम्नानुसार है:-
क्र. सं. | हिंदू महीना | पूर्णिमा व्रत नाम | अन्य नाम या उसी दिन के त्यौहार |
1 | चैत्र | चैत्र पूर्णिमा | हनुमान जयंती |
2 | वैशाख | वैशाख पूर्णिमा | बुद्ध पूर्णिमा, कूर्म जयंती |
3 | ज्येष्ठ | ज्येष्ठ पूर्णिमा | वट पूर्णिमा व्रत |
4 | आषाढ़ | आषाढ़ पूर्णिमा | गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजा |
5 | श्रावण | श्रावण पूर्णिमा | रक्षाबंधन, गायत्री जयंती |
6 | भाद्रपद | भाद्रपद पूर्णिमा | पूर्णिमा श्राद्ध, पितृपक्ष आरंभ |
7 | अश्विन | आश्विन पूर्णिमा | शरद पूर्णिमा, कोजागरा पूजा |
8 | कार्तिक | कार्तिक पूर्णिमा | देव दीपावली |
9 | मार्गशीर्ष | मार्गशीर्ष पूर्णिमा | दत्तात्रेय जयंती |
10 | पौष | पौष पूर्णिमा | शाकंभरी पूर्णिमा |
11 | माघ | माघ पूर्णिमा | गुरु रविदास जयंती |
12 | फाल्गुन | फाल्गुन पूर्णिमा | होलिका दहन, वसंत पूर्णिमा |