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2042 मार्गशीर्ष पूर्णिमा

date  2042
Columbus, Ohio, United States

मार्गशीर्ष पूर्णिमा
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हिन्दू महीने मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। बत्तीसी पूर्णिमा या कोरला पूर्णिमा इसके दूसरे नाम हैं जिन्हें अक्सर मार्गशीर्ष पूर्णिमा के लिए जाना जाता है। जैसा कि प्राचीन हिंदू शास्त्रों में वर्णित है, मार्गशीर्ष पूनम का महीना धार्मिक कार्यों, पूजा और दान के महीने के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने से सतयुग का युग, शुरू हुआ था और यही कारण है कि इस दिन किए गए तपस्या, पूजा और अन्य शुभ कार्य अत्यधिक फलदायक होते हैं। इस दिन हरिद्वार, बनारस और प्रयागराज की पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत का महत्व

मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन यमुना नदी में पवित्र स्नान करने वाली युवा महिलाओं को इच्छित जीवनसाथी का आर्शीवाद प्राप्त होता है। मार्गशीर्ष महीने के समय को पारंपरिक हिंदू विचारधारा में अत्यंत मंगलदायी रूप से देखा जाता है। हिंदू धार्मिक पवित्र लेखों में, इस महीने को ‘मगसर’, अगहन या ‘अग्रहयान’ कहा जाता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा की पवित्र धाराऐं वैशाख, कार्तिका और माघ के चंद्र महीने के समान ही आवश्यक है। इसी तरह, मार्गशीर्ष पूर्णिमा के आगमन पर उपवास करना सभी लालसाओं या इच्छाओं की संतुष्टि प्रदान करता है। बुद्धिजीवियों और शोधकर्ताओं का मानना है कि इस शुभ दिन पर उदारवादी कार्य करके, हर कोई अपने बुरे कार्यों से छुटकारा पा सकता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर, भगवान विष्णु की ‘नारायण’ के रूप में पूजा की जाती है। पुराणों में, इस महीने को ‘मासोनम मार्गशीर्षोहम’ के रूप में वर्णित किया गया था, जिसमें कहा गया है कि मार्गशीर्ष की तुलना में अधिक आशावादी वाला कोई महीना नहीं है।

पारंपरिक हिंदू रीतियों के अनुसार मार्गशीर्ष के महीने में पूर्णिमा का दिन ‘मार्गशीर्ष पूर्णिमा’ के रूप में मनाया जाता है। भक्त इस दिन पवित्र जलाशयों में विधि पूर्वक स्नान करते हैं और भगवान विष्णु को समर्पण की भावनाऐं पेश करते हैं।

हिंदू भक्त चंद्र भगवान की वंदना करते हैं क्योंकि यह मान्यता है कि इस दिन, चंद्रमा को ‘अमृत’ पेश किया गया था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष नौवां महीना है और हिंदू पवित्र ग्रंथों के अनुसार इस महीने को प्रतिबद्धता (वचनबद्धता) का समय माना जाता है।

विशेष रूप से दक्षिण भारत में, भगवान दत्तात्रेय को समर्पित कुछ मंदिरों में अनोखे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। मार्गशीर्ष पूर्णिमा को ‘दत्तात्रेय जयंती’ कहा जाता है। भगवान दत्तात्रेय को त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का प्रतीक माना जाता है। किंवदंतियों के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर प्रदोष काल में, भगवान दत्तात्रेय का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था और उस समय से इस दिन को विश्व स्मरणोत्सव के रूप में देखा जाता है।

भारत के कुछ स्थानों में, मार्गशीर्ष पूर्णिमा को ‘बत्तीसी पूर्णिमा’ ‘कोरला पूर्णिमा’, ‘नारका पूर्णिमा’, या ‘मार्गशीर्ष पूनम’ ‘उदयातिथि पूर्णिमा’ के रूप में जाना जाता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत विधान और पूजा

इस दिन उपवास करने और देवी और देवताओं की पूजा करने से सुख और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। इस दिन उपवास करते समय विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करना होता है।

  • भगवान नारायण की पूजा करें। सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें और भगवान के नाम का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

  • सफेद कपड़े पहनें और पूजा शुरू करने से पहले आचमन (शुद्धि प्रक्रिया से पहले) करें और फिर ‘ऊँ नमोः नारायण’ का जाप करते हुए भगवान के नाम का ध्यान करें।

  • भगवान को फूल और इत्र चढ़ाएं।

  • पूजा स्थल स्थापित करें और हवन के लिए एक वेदी बनाएं। अग्नि में तेल, घी, बूरा आदि की आहुति देकर हवन करें।

  • हवन समाप्त करने के बाद अपना व्रत पूरा करें, क्योंकि आप भगवान विष्णु का आवहान करते हैं।

  • रात को भगवान की मूर्ति के करीब सोएं।

  • अगले दिन दान-दक्षिणा देने और जरूरतमंद ब्राह्मणों को भोजन कराने की सलाह दी जाती है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि और समय

सही मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि और समय का पता लगाने के लिए हमेशा दैनिक पंचांग और दैनिक होरा समय पर विचार करना चाहिए।

पुरे वर्ष भर में पड़ने वाले पूर्णिमा व्रत

हिन्दू कैलेंडर जो की चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) से प्रारम्भ होता है के अनुसार वर्षभर में पड़ने वाली पूर्णिमा निम्नानुसार है:-

क्र. सं. हिंदू महीना पूर्णिमा व्रत नाम अन्य नाम या उसी दिन के त्यौहार
1 चैत्र चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयंती
2 वैशाख वैशाख पूर्णिमा बुद्ध पूर्णिमा, कूर्म जयंती
3 ज्येष्ठ ज्येष्ठ पूर्णिमा वट पूर्णिमा व्रत
4 आषाढ़ आषाढ़ पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजा
5 श्रावण श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन, गायत्री जयंती
6 भाद्रपद भाद्रपद पूर्णिमा पूर्णिमा श्राद्ध, पितृपक्ष आरंभ
7 अश्विन आश्विन पूर्णिमा शरद पूर्णिमा, कोजागरा पूजा
8 कार्तिक कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली
9 मार्गशीर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा दत्तात्रेय जयंती
10 पौष पौष पूर्णिमा शाकंभरी पूर्णिमा
11 माघ माघ पूर्णिमा गुरु रविदास जयंती
12 फाल्गुन फाल्गुन पूर्णिमा होलिका दहन, वसंत पूर्णिमा

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